ऊँ शब्द का श्रवण करने से साधक समाधि को हो जाता है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, नित्य नियमपूर्वक पद्मासन या सुखासन से बैठकर सीधा बैठकर नाभि में दृष्टि जमाकर जब तक पलक न पड़े तब तक एक मन से देखते रहना चाहिए। ऐसा करने से शीघ्र ही मन स्थिर होता है। इसी प्रकार नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि जमाकर बैठने से भी चित्त निश्चल हो जाता है। इससे ज्योति के दर्शन भी होते हैं। कानों में उंगली देकर शब्द सुनने का अभ्यास किया जाता है।
इसमें पहले भंवरों के गुंजार अथवा प्रातःकालीन पक्षियों के चूंचुंहाने जैसा शब्द सुनाई देता है। फिर क्रमशः घुंघरू, शंख, घंटा, नाल, मुरली, भेरी,मृदंग और सिंह गर्जना के सदृश शब्द सुनाई देते हैं। इस प्रकार दस प्रकार के शब्द सुनाई देने लगने के बाद दिव्य ऊँ शब्द का श्रवण होता है, जिससे साधक समाधि को प्राप्त हो जाता है। यह भी मन के निश्चल करने का उत्तम साधन है।
सब जगह भगवान के किसी नाम को लिखा हुआ समझकर बारंबार उस नाम के ध्यान में मन लगाना चाहिए अथवा भगवान के किसी स्वरूप विशेष की अंतरिक्ष में मन से कल्पना कर उसकी पूजा करना चाहिए। पहले भगवान की मूर्ति के एक-एक अवयव का अलग-अलग ध्यान कर फिर दृढ़ता के साथ पूरी मूर्ति का ध्यान करना चाहिए। उसी में मन को अच्छी तरह स्थिर कर देना चाहिए।
मूर्ति के ध्यान में इतना तन्मय हो जाना चाहिए कि संसार का भान ही न रहे फिर कल्पना -प्रसुत सामग्रियों से भगवान की मानसिक पूजा करना चाहिए। प्रेम पूर्वक की हुई नियमित भगवदुपासना से मन को निश्चल करने बड़ी सहायता मिलती है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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