Dhanteras 2025: धनतेरस का त्योहार आज, जानिए पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Dhanteras 2025: आज देश भर में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है. सनातन धर्म में धनतेरस के पर्व का विशेष महत्व है. बता दें कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन आरोग्‍य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस विशेष दिन पर चिकित्सक और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोग धन्वंतरि देव की पूजा करते हैं. इसी के साथ इस खास दिन पर कुबेर देव और मां लक्ष्‍मी की भी पूजा की जाती है.

ऐसी मान्यता है कि यह दिन धन के देवता कुबेर और धन की देवी लक्ष्‍मी जी को प्रसन्‍न करने का दिन होता है. ऐसे में आइए आपको आज बताते हैं कि इस साल यह पर्व किस दिन मनाया जाएगा. साथ ही इस विशेष दिन पर पूजा करने की शुभ घड़ी क्या है और पूजा की विधि क्या है…

कब मनाया जाएगा धनतेरस का त्योहार? (Dhanteras 2025) 

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जाता है. आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दोपहर 12:20 मिनट पर शुरू होगी और 19 अक्टूबर को दोपहर 1:52 मिनट पर समाप्‍त होगा. चूकी मान्यता है कि धनतेरस का पर्व उसी दिन माना जाता है, जिस दिन त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल मिलता है. ऐसे में आज 18 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जा रहा.

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खरीदारी का मुहूर्त

इस साल धनतेरस पर खरीदारी करने के तीन मुहूर्त बन रहे हैं. शास्त्रों के जानकारों के अनुसार धनतेरस पर खरीदारी का पहला मुहूर्त – सुबह 08:50 मिनट से 10:33 मिनट तक है. इसी के साथ धनतेरस पर खरीदारी का दूसरा मुहूर्त – दोपहर 12:01 मिनट से लेकर दोपहर 12:48 मिनट तक है. वहीं. तीसरा मुहूर्त दोपहर 01:61 मिनट से लेकर 03:18 मिनट तक है. इस मुहूर्त में आप धनतेरस के दिन खरीदारी कर सकते हैं.

धनतेरस पर कैसे करें पूजा?

धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस दिन आपको सबसे पहले पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या तस्‍वीर स्‍थापित करें. अब एक घी का दीपक जलाएं फिर अक्षत, रोली और लाल फूल चढ़ाएं. धूप जलाएं. भोग लगाएं. इतना करने के बाद आपको लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा और कुबेर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.

(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. द प्रिंटलाइंस इसकी पुष्टी नहीं करता है.)

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