मृत्यु से घबड़ाता वही है, जिसने जीवन में कृत्कृत्यता प्राप्त नहीं की: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthanपरम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कृतकृत्याह प्रतीक्षन्ते मृत्युं प्रियमिवातिथम्। जिसने जीवन में कृतकत्यता प्राप्त कर ली वो मृत्यु की प्रतीक्षा करता है। प्रिय अतिथि के लिए जैसे हम तैयारी करते हैं, अब आने वाले होंगे, वैसे जिसने जीवन में कृत्कृत्यता को प्राप्त कर लिया, वो मृत्यु की प्रतीक्षा करता है। मृत्यु से घबड़ाता वही है जिसने जीवन में कृत्कृत्यता प्राप्त नहीं की। मृत्यु से उद्वेग,भय, उसे होता है, जो कृत कृत्य नहीं होता।
कृत कृत्य शब्द का हम सब प्रयोग बहुत करते हैं, लेकिन सटीक अर्थ नहीं जानते। आपका दर्शन करके हम कृतकृत्य हुए। अब कृत कृत्य भयों मैं माता। आशिष तव अमोघ विख्याता।। कृत का अर्थ होता है कर लिया, क्या कर लिया? बोले- कृत्य जो करना चाहिए था। ये सटीक अर्थ है। कृतकृत्य जो करना चाहिए कर लिया। मनुष्य के जीवन में हमें क्या करना चाहिए? पहले हमें यह तय करना है।
वही कर लेंगे तो कृत-कृत्य हो जाएंगे। मनुष्य को क्या करना चाहिए, श्री शुकदेव जी ने यहीं से अपना प्रवचन प्रारंभ किया। श्रीमद्भागवत की कथा हमें जीना सिखाती है, भगवान की कथा हमें जीना सिखाती है।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना।
श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी
बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा,
(उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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