अपनी इच्छा के अनुसार की गई शुद्धि कहलाती है स्वच्छता: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्वच्छता और पवित्रता-आज पवित्रता का कोई मूल्य ही नहीं रह गया है। सभी स्वच्छता को ही पवित्रता मानकर पूजते हैं, परन्तु स्वच्छता और पवित्रता में बहुत अन्तर है। अपनी इच्छा के अनुसार की गई शुद्धि स्वच्छता कहलाती है और सन्त तथा शास्त्र की सम्मति से की गई शुद्धि पवित्रता मानी जाती है। घर में धुला हुआ वस्त्र पवित्र माना जाता है, जबकि हम बाजार से वस्तु धुलवाते हैं,उस धुले हुए वस्त्र में स्वच्छता होती है लेकिन  पवित्रता की कोई गारंटी नहीं है।
गौ माता का दूध अतिशय पवित्र होता है, लेकिन बाजार से लाया गया दूध स्वच्छ तो है लेकिन उसकी पवित्रता की कोई गारंटी नहीं है. घर में तैयार किया गया भोजन स्वच्छ के साथ-साथ पवित्र भी है। बाजार में जो कुछ खाते-पीते हैं वह स्वच्छ तो है, लेकिन पवित्र नहीं है। इसीलिए सन्त और शास्त्र की सम्मति से ही की गई शुद्धि ही पवित्रता गिनी जाती है।
सत्कर्म की प्रेरणा देने के लिए बच्चों के हाथ से सत्कर्म कराओ। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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