साधना और सत्कर्म की कभी नहीं होती समाप्ति: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, साधना और सत्कर्म की समाप्ति कभी नहीं होती. जीवन के अंतिम क्षणों तक साधना और सत्कर्म चलते रहते हैं. साध्य की प्राप्ति के पश्चात भी साधना तो चलती ही नहीं चाहिए. इसीलिए वैष्णव तो प्रभु की प्राप्ति के पश्चात भी साधना का प्रवाह चालू ही रखते हैं. याद रखो जप की पूर्णाहुति कभी नहीं होती.
बताओ हमारे भोजन की पूर्णाहुति कभी हुई है? और क्या कभी हो सकती है. अन्न का कण और जीवन का ऋण बर्बाद नहीं करना चाहिए, जो अन्न के कण और जीवन के एक-एक क्षण का सदुपयोग कर रहा है, वही विचक्षण अर्थात समझदार है. अन्न का कण और साधु क्षण बड़ा कीमती होता है. मात्र एक कण से चींटी का पेट भर सकता है और साधु संत के मात्र एक क्षण से अनेक पपियों का उद्धार किया जा सकता है.
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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