नम्रता और नाम-स्मरण से सुधरता है स्वभाव: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रद्धा से युक्त किए गए सत्कर्म से जीवन को परमात्मा और परोपकार के साथ जोड़ देना ही सच्चा श्राद्ध है। प्रभु के द्वारा दिए गए इस मानव देह के पिण्ड को प्रभु के प्रीत्यर्थ  सेवाकार्यों में बिता देना ही सच्चा पिण्डदान है।
इस प्रकार श्रद्धापूर्वक श्राद्ध और पिण्डदान यदि स्वयं ही किया जाय तो पुत्र के द्वारा श्राद्ध और पिण्डदान की आशा ही न रखती पड़े। वैसे पुत्र के द्वारा किए गए श्राद्ध और बिना प्रेम के पिण्डदान से पिता का जन्म मृत्यु से छुटकारा नहीं हो सकता – यह बात निश्चित है। व्यक्ति का कल्याण स्वयं के सत्कर्मों से होता है।
कल्याण के लिए सत्कर्म और ईश्वर की आराधना आवश्यक है। नम्रता और नाम-स्मरण से स्वभाव सुधरता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।
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