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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णन आता है कि- बृजवासी भक्त जहां जाते और जहां बैठते, सर्वत्र प्रभु की उपस्थिति का अनुभव करते थे। इसलिए वह आत्मस्वरूप में भी अपने कन्हैया के सानिध्य का आनन्द अनुभव करते थे।
बृजवासी भक्तों का अनोखा प्रेम- जो हम आपके लिए सर्वथा शिक्षाप्रद है। बृजवासी भक्तों ने इसी आनन्द में उद्धव से कहा था, “मेरे कृष्ण मुझे न कहीं छोड़ कर गए हैं और न जाने वाले हैं।” जहां ऐसा ऊंचा प्रेम हो वहां भगवान को भक्त के स्मरण करते ही उपस्थित होना पड़ता है।
सच्चे प्रेम में भक्त को भगवान से अलग नहीं रखा जा सकता। जो प्रभु के सम्मुख ले जाता है, साधना मार्ग में वह परमात्मा से भी श्रेष्ठ गिना जाता है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।