हृदय द्रवित होगा तो ही प्रभु मिलन की आतुरता होगी जाग्रत: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीशुकदेवजी का द्रवित हृदय- कथा श्रवण करते हुए हमारा-आपका हृदय द्रवित हो तो कथा की पक्की छाप लग जाती है और भक्त का मंगल होता है। हृदय द्रवित हुआ कैसे पता लगे? जब कोई वस्तु पिघलती है तो वाष्पीकरण होता है। अगर हृदय कथा कह-सुनकर पिघलेगा तो आंखों में सहज आंसू आयेंगे।वाणी गदगदित हो जायेगी और कहने सुनने वाले को और दूसरों को भी पता लग जायेगा कि- इस समय हृदय बिल्कुल द्रवित हो चुका है।
मम गुन गावत पुलक शरीरा। गदगद गिरा नयन बह नीरा ।। काम आदि मद दम्भ न जाके। तात निरंतर बस मैं ताके।। संत जन उदाहरण देते हैं कि- जैसे लाख की चूड़ियां बनायी जाती हैं तो लाख को पिंगलाकर जो छाप लगा दी जाती है, वह स्थाई हो जाती है। इसी तरह कथा श्रवण,  पूजा-पाठ के समय हृदय द्रवित हुआ तो भक्ति की पक्की छाप लग जायेगी और कल्याण होगा।
द्रवित हृदय- तेल से चुपड़े हुए लोहे को जंग नहीं लगता। इसी प्रकार रखे हुए आभूषणों की छीजन भी कम होती है। आपके हृदय को वासना का जंग न लगे और पापमय विकार का छीजन उत्पन्न न हो- इस हेतु ह्रदय को हमेशा सात्विक भावों में डुबोया हुआ रखो। हृदय द्रवित होगा तो ही पापमय विकारों का नाश होगा। हृदय द्रवित होगा तो ही प्रभु मिलन की आतुरता जाग्रत होगी।
सुख भोगने की वासना ही बहुत दुख देती है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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