Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पार्वती मंगल- बुद्धि और ज्ञान का मिलन- भगवती महामाया पार्वती का शिव के साथ विवाह हुआ। हमारी- आपकी बुद्धि भी पार्वती ही है। जब बुद्धि का संयोग शिव के साथ होता है, तब जीवन में पुरुषार्थ अर्थात कार्तिकेय और विवेक अर्थात श्री गणेश जी का प्राकट्य होता है।
तब संसार का मंगल हो जाता है। शिव हैं ज्ञान और पार्वती हैं बुद्धि। बुद्धि से जब ज्ञान का सम्बन्ध होता है तब कार्तिकेय की उत्पत्ति होती है। कार्तिकेय के छः मुख हैं। यह षट् सम्पत्ति कहलाते हैं। भक्ति ज्ञान वैराग्य प्राप्त करने के लिए छः सम्पत्तियों की जरूरत पड़ती है।शम, दम,उपरति, तितिक्षा, श्रद्धा और समाधान- इनको षट् सम्पत्ति संपत्ति कहते हैं।
शम का अर्थ होता है मन को समता में रखना, दम का अर्थ है इन्द्रियों का दमन करना,उपरति का अर्थ होता है विषयों से मन का उपराम हो जाना, विषयों से मन का हट जाना, तितिक्षा- जीवन में जो दुःख-सुख आये, उन्हें सहन करने की शक्ति होनी चाहिए, श्रद्धा – गुरु मुख से जो निकल गया, वह ब्रह्म वाक्य है, समाधान – मन में कोई संशय का न रहना।
जीवन आपका कीमती है छोटी-छोटी बातों में जो आप असंतुलित हो जाते हैं, तनाव में आ जाते हैं, उससे आपका बहुत सा समय बर्बाद हो जाता है। यह मानव जीवन की घड़ियां कीमती हैं, समस्याएं आएंगी और चली जाएंगी लेकिन थोड़ा ध्यान रखो, संतुलन बनाकर रखो।
मानसिक संतुलन बिगड़ने न पाए। जैसे किसी नारी को बहुत बर्षों बाद गर्भ ठहरा और उसकी डॉक्टर जरा सा डरा दे और बेड- रैस्ट बता दे, तब वह बेचारी बैड में पड़ी रहती है। धीरे से उठती है, धीरे से चलती है, कभी दौड़ती नहीं, वजन उठाती नहीं, कहीं आती – जाती नहीं उसे अपने होने वाले बच्चे से कितना प्यार है, मां बनने की कितनी खुशी है कि वह सोच-सोचकर कदम उठा रही है।
इसी प्रकार जब शास्त्र कह रहे हैं कि तुम्हें ऐसा जीवन बिताना चाहिए, परमात्मा तुम्हें मिल जाएंगे। फिर तुम्हारा जीवन भी वैसा ही होना चाहिए। उस जीवन में ज्यादा उद्वेग न हो, तनाव न हो, व्यर्थ की बातें न हों, तब साधन पथ पर आपका मन बढ़ेगा। मान लोगे तब कल्याण हो जायेगा, नहीं मानोगे तब बाद में पछताना पड़ेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।