भारत में 56% नियोक्ता चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने की बना रहे योजना: Report

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत में चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान 56% नियोक्ता अपने वर्कफोर्स का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं, जबकि 27% नियोक्ता मौजूदा स्तर को बनाए रखने की सोच रहे हैं. वहीं, 17% नियोक्ता संभावित छंटनी या वर्कफोर्स में कटौती की संभावना जता रहे है. यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, बड़े उद्यमों में हायरिंग की रफ्तार तेज हो रही है, जबकि मध्यम और छोटे व्यवसाय अपेक्षाकृत सतर्क रुख अपनाए हुए हैं और ‘रिटर्न-फर्स्ट’ रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
एक प्रमुख स्टाफिंग फर्म, टीमलीज सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, भारत की अर्थव्यवस्था FY25-26 की पहली तिमाही में 7.8% जीडीपी वृद्धि और जीएसटी सुधारों के कारण मजबूत विकास पथ पर अग्रसर है, इसलिए नियोक्ता अपनी कर्मचारियों की रणनीतियों को रियल बिजनेस आउटकम और फेस्टिव डिमांड साइकल के अनुरूप बना रहे हैं. जून से अगस्त तक 23 उद्योगों और 20 शहरों के 1,251 नियोक्ताओं के सर्वे पर बेस्ड रिपोर्ट बताती है कि रोजगार वृद्धि में अग्रणी क्षेत्रों में ई-कॉमर्स एंड टेक स्टार्टअप, लॉजिस्टिक्स और रिटेल शामिल हैं, जिनका अनुमानित शुद्ध रोजगार परिवर्तन (एनईसी) क्रमशः 11.3%, 10.8% और 8.1% है.
ऑटोमोटिव, एफएमसीजी और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स में निरंतर विस्तार देखा जा रहा है, जिसे प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI), ईएमपीएस जैसी सरकारी नीतियों, स्थानीयकरण की कोशिशों और मजबूत घरेलू खपत का समर्थन मिल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, ये उद्योग मिलकर भारत के रोजगार बाजार की लचीलापन और अनुकूलनशीलता को उजागर करते हैं, जहां तकनीक, उपभोक्ता मांग और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश जैसे कारक कार्यबल की मांग को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं.
टीमलीज सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बालासुब्रमण्यम ए ने कहा, भारत का वर्कफोर्स एक परिवर्तनकारी दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां ट्रेडिशनल हायरिंग अप्रोच टारगेटेड और स्किल-ड्रिवन रणनीतियों का स्थान ले रही हैं. उन्होंने कहा, हमारी रिपोर्ट के अनुसार, 61% नियोक्ता एंट्री-लेवल रोल के लिए सेलेक्टिव परफॉर्मेंस-बेस्ड अप्रोच अपना रहे हैं. क्षमता-आधारित, प्रदर्शन-आधारित प्रथाओं को अपनाकर कंपनियाम न केवल आज की व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं, बल्कि एक मजबूत और फ्यूचर-रेडी वर्कफोर्स भी तैयार कर सकती हैं.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वर्कफोर्स से जुड़े रुझानों में बदलाव पूरे देश में समान रूप से नजर आ रहा है. खासतौर पर बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई जैसे शहर टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के केंद्र होने के कारण नियुक्तियों में सबसे आगे हैं. इन शहरों में कुशल प्रतिभा की उपलब्धता और औद्योगिक गतिविधियों का केंद्रीकरण इन्हें रोजगार सृजन के प्रमुख केंद्र बना रहा है.

More Articles Like This

Exit mobile version