Basmati Rice Export: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, ईरान और इजरायल के बीच तनाव की छाया के बावजूद, भारतीय बासमती चावल (Indian Basmati Rice) का निर्यात 2024-25 वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 1,923 करोड़ रुपये बढ़ गया. पिछले पखवाड़े में बढ़ते इजरायल-ईरान संघर्ष (Israel–Iran conflict) ने बासमती शिपमेंट को रोक दिया था.
रुपये में मूल्य के संदर्भ में निर्यात 2023-24 वित्तीय वर्ष की तुलना में करीब 3.97% अधिक था. कोलकाता स्थित वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, मध्य पूर्व से मजबूत मांग से सहायता मिली. DGCIS के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2024-25 वित्तीय वर्ष में 50,312 करोड़ रुपये (लगभग 5.87 बिलियन डॉलर) मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया.
FY23-24 में निर्यात 48,389 करोड़ रुपये था. मात्रा के संदर्भ में भारत ने 2024-25 में करीब 60.65 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया, जो 2023-24 की तुलना में 8.23 LMT (15.7%) अधिक है. एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने FY24-25 में 154 देशों को बासमती चावल का निर्यात किया, जबकि पिछले कारोबारी सीजन में भारत ने 150 देशों को यह जिंस बेची थी. सऊदी अरब लगभग 11.73 LMT मात्रा के साथ भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक था, उसके बाद इराक और ईरान क्रमशः 9.05 LMT और 8.55 LMT के साथ दूसरे स्थान पर थे.
ये तीन देश 2023-24 में भी शीर्ष तीन आयातक थे, जिन्होंने क्रमशः 10.98 एलएमटी, 8.24 एलएमटी और 6.7 एलएमटी जिंस खरीदी थी. आयातकों के अन्य शीर्ष 10 देशों में यमन (3.92 एलएमटी), संयुक्त अरब अमीरात (3.89 एलएमटी), संयुक्त राज्य अमेरिका (2.74 एलएमटी), यूनाइटेड किंगडम (1.80 एलएमटी), कुवैत (1.75 एलएमटी), ओमान (1.49 एलएमटी) और कतर (1.24 रुपये के मूल्य के संदर्भ में सऊदी अरब सबसे बड़ा खरीदार था, जिसने भारतीय बासमती चावल के लिए 10,190.73 करोड़ रुपये का भुगतान किया.
उसके बाद इराक (7,201 करोड़ रुपये), ईरान (6,374 करोड़ रुपये), यूएई (3,089 करोड़ रुपये), यमन (3,038.56 करोड़ रुपये) और अमेरिका (2,849 करोड़ रुपये) का स्थान रहा. मूल्य के संदर्भ में भारतीय बासमती चावल के अन्य बड़े आयातकों में यूके (1,613.36 करोड़ रुपये), कुवैत (1,518.8 करोड़ रुपये), ओमान (1,223 करोड़ रुपये) और कतर (1,040 करोड़ रुपये) शामिल हैं.