भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से विस्तार करने की संभावना जताई गई है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, हाल ही में किए गए जीएसटी दरों में कटौती, और मौद्रिक नीति में नरमी इस वृद्धि के प्रमुख कारक हैं. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें जोखिम संतुलित रहने की बात कही गई है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी 7.8 प्रतिशत रही, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज़ वृद्धि है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत की विकास रफ्तार अभी भी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है.
28 नवंबर को जारी किए जाएंगे जीडीपी के आंकड़े
केंद्र की ओर से सितंबर तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े 28 नवंबर को जारी किए जाएंगे. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि ग्रोथ आउटलुक को बैलेंस बना हुआ है और नीचे की ओर से गिरावट को लेकर कोई बड़ा जोखिम नहीं बना हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास का अनुमान 6.8 प्रतिशत लगाया है, जो कि पिछले वर्ष के अनुमान 6.5 प्रतिशत से अधिक है. भारत और अमेरिकी के बीच होने वाली संभावित ट्रेड डील निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने में सहायक हो सकती है और लेबर-इंटेन्सिव इंडस्ट्री को इसका समर्थन मिल सकता है.
RBI ने जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की
रिपोर्ट में बताया गया है कि हालिया जीएसटी दरों में कटौती, आयकर में छूट और कम ब्याज दरें मिडल क्लास को सीधे लाभ पहुंचाएंगी और घरेलू उपभोग को बढ़ावा देंगी. यूनियन बजट 2025-26 के अनुसार, आयकर की छूट सीमा 7 लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दी गई है, जिससे मिडल-इकनम हाउसहोल्ड को लगभग 1 लाख करोड़ रुपए की टैक्स बचत हुई है. साथ ही, आरबीआई ने जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे निचले स्तर का ब्याज दर है. यह कदम कर्ज की लागत कम करने और उपभोग एवं निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
व्यापार पर अधिक पाबंदियां
इस वर्ष सितंबर में लगभग 375 जरूरी और आम इस्तेमाल वाली वस्तुओं पर से जीएसटी रेट को भी कम कर दिया गया है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स एशिया पैसेफिक के चीफ इकोनॉमिस्ट लुई कुइज ने कहा, एशिया-प्रशांत की विकास दर 2026 में उच्च बनी हुई है लेकिन ब्याज दरों में कटौती को लेकर बहुत अधिक उम्मीदें नहीं हैं. कुइज ने कहा, व्यापार पर अधिक पाबंदियां और इंडस्ट्रियल पॉलिसी व्यापार, निवेश और विकास पर आने वाले वर्षों में दबाव बना सकती हैं.

