चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की औसत मुद्रास्फीति 2.1% रहने का अनुमान

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
खाद्य मुद्रास्फीति में आई नरमी और उपभोक्ता मांग में कमी को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति के 2.1% रहने का अनुमान लगाया गया है. यह आकलन बुधवार को जारी केयरएज रेटिंग्स की एक ताज़ा रिपोर्ट में किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौद्रिक नीति के प्रभाव के चलते चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि की गति धीमी पड़ती है, तो हालिया मुद्रास्फीति के रुझान (inflation readings) संभावित रूप से ब्याज दरों में कटौती का रास्ता खोल सकते हैं.
केयरएज रेटिंग्स ने कहा कि कमजोर अमेरिकी डॉलर, मजबूत चीनी युआन, नियंत्रित चालू खाता घाटा (CAD) और अमेरिका-भारत व्यापार समझौते से जुड़ी सकारात्मक उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए, वित्त वर्ष 2026 के अंत तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का अनुमान 85-87 के दायरे में बनाए रखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल ट्रेड वॉल्यूम 2025-26 में औसत आधार पर 2.9% की दर से बढ़ने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि भारत का वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात वर्तमान के 21% से घटकर 2030 तक जीडीपी के 16% हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 के लिए वैश्विक वृद्धि का अनुमान 20 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दिया गया है. कुल मिलाकर निरतंर अनिश्चितता के बीच विकास के जोखिम नकारात्मक बने हुए हैं. पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में गिरावट ने भारत के कुल निर्यात प्रदर्शन को प्रभावित किया, हालांकि नॉन-पेट्रोलियम निर्यात ने मजबूती दिखाई. रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत का नॉन-पेट्रोलियम निर्यात 7% बढ़ा है. इसी अवधि में, नॉन-पेट्रोलियम वस्तुओं के नेतृत्व में आयात में भी 4.5% की वृद्धि दर्ज की गई है। अमेरिका भारत के लिए अब भी सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बना हुआ है.
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अमेरिका को निर्यात में 13% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे उसकी भारत के कुल माल निर्यात में 20% हिस्सेदारी हो गई. हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़कर सितंबर में अमेरिका को भारत के निर्यात में थोड़ी गिरावट देखी गई.

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