बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 465 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले 11 महीनों का उच्चतम स्तर है. इस बड़ी बढ़त के पीछे मुख्य कारण है भारतीय शेयर बाजार में तेजी, जिसे भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता की सकारात्मक दिशा और यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दरों में कटौती से समर्थन मिला है. सितंबर 2025 की शुरुआत से अब तक BSE पर लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में 20 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह आंकड़ा अब 27 सितंबर 2024 के ऑल-टाइम हाई से केवल 2.7% कम है.
अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना और महंगाई में लगातार नरमी ने बाजार की तेजी को सपोर्ट किया है. सेंसेक्स और निफ्टी ने इस महीने करीब 3.5% का रिटर्न दिया है. हाल की तेजी में सरकारी कंपनियों की अहम भूमिका रही। बीएसई पीएसयू इंडेक्स ने 7.5% का रिटर्न दिया, जबकि बीएसई 500 इंडेक्स में 5% की बढ़त दर्ज की गई है। बीएसई ऑटो में 9%, बीएसई बैंकेक्स में 6.8%, बीएसई मेटल में 8.1% और तेल एवं गैस में 4.5% की वृद्धि हुई.
मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों ने किया मजबूत प्रदर्शन
भारतीय शेयर बाजार में मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों ने भी मजबूत प्रदर्शन किया है. बीएसई मिडकैप इंडेक्स (BSE Midcap Index) में 4.7% और स्मॉलकैप इंडेक्स में 6% की वृद्धि दर्ज की गई. विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी फेड के फैसलों का भारतीय बाजार पर खास असर नहीं पड़ेगा. मौजूदा तेजी का कारण है कंपनियों की मजबूत आय वृद्धि की उम्मीदें. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, GST सुधारों के चलते FY27 में कॉर्पोरेट अर्निंग्स में 15% से ज्यादा वृद्धि संभव है. इससे FPI निवेश धारणा में भी सकारात्मक बदलाव आने की संभावना है.
हालांकि, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि मूल्यांकन अभी भी उच्च स्तर पर बना हुआ है, लेकिन बैंकों, एनबीएफसी और उपभोग क्षेत्रों के कारण आय की गति में सुधार होने की संभावना है.
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