Chhath Puja 2025: छठ पर्व पर देशभर में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का हुआ व्यापार: कैट की रिपोर्ट

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Chhath Puja 2025: हर साल पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाए जाने वाले चार दिवसीय छठ महापर्व को लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देशव्यापी व्यापार से जुड़ा ताज़ा आंकड़ा जारी किया है. कैट की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष छठ पूजा देशभर में 10 करोड़ से अधिक लोगों ने धूमधाम से मनाई, जिससे ₹50,000 करोड़ से अधिक का कारोबार दर्ज किया गया. इनमें से अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लगभग ₹8,000 करोड़ का व्यापार हुआ, जबकि बिहार में करीब ₹15,000 करोड़ और झारखंड में लगभग ₹5,000 करोड़ का व्यापार देखने को मिला.

कैट के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने क्‍या कहा ?

कैट के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वांचल क्षेत्र, छठ पूजा के मुख्य केंद्र बने हुए हैं. इन राज्यों और क्षेत्रों में त्योहार को लेकर सबसे ज्यादा भीड़ देखी जाती है और घाट और पूजा के सामान की मांग देखी जाती है. उन्होंने कहा, बड़ी संख्या में पूर्वांचली आबादी के कारण दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में इस त्योहार से जुड़े व्यापार को लेकर जबरदस्त तेजी दर्ज की गई.
दिल्ली सरकार ने 1,500 घाट बनाए और पूजा सामग्री, अस्थायी ढांचों, सुरक्षा और साफ-सफाई से जुड़ी व्यवस्था को लेकर एक बड़ी राशि खर्च की गई. खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा का आर्थिक प्रभाव अब अपने पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर मेट्रो शहरों और उभरते राज्यों तक फैल गया है, जहां प्रवासी समुदायों ने स्थानीय स्तर पर मजबूत मांग पैदा की है.
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस खास त्योहार के दौरान बेचे जाने वाली वस्तुओं में केले, गन्ना, नारियल, मौसमी फल, चावल और अनाज जैसे खेती से जुड़ी वस्तुएं; प्रसाद और मिठाइयां जैसे ठेकुआ, खीर बनाने का सामान, लड्डू और गुड़ से बनी चीजें; पूजा का सामान जैसे टोकरियां, मिट्टी के दीये, पत्तों की प्लेटें, फूल और मिट्टी के बर्तन शामिल थे. इसके अलावा, घाट बनाने, लाइटिंग, साफ-सफाई, नाव सर्विस और सुरक्षा इंतजाम जैसी त्योहार से जुड़ी सर्विस में भी काफी व्यापार हुआ.
कैट के सेक्रेटरी जनरल खंडेलवाल ने बताया कि पीएम मोदी की स्वदेशी अपील को ट्रेड बॉडीज और आम लोगों द्वारा उत्साह से अपनाया गया. देश भर में पारंपरिक ठेकुआ बनाने वाले, मिट्टी के कारीगर, बांस और केले के पत्ते की टोकरी बनाने वाले और गुड़ बनाने वालों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी छठ कैंपेन शुरू हुए. इस पहल के साथ लोकल हैंडीक्राफ्ट और देसी प्रोडक्ट्स की जबरदस्त बिक्री दर्ज की गई.
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