कॉपर की कीमतों में आने वाले समय में तेजी देखी जा सकती है और यह 11,700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के स्तर तक पहुंच सकती है. शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके पीछे मुख्य कारण कॉपर की बढ़ती वैश्विक मांग और सीमित आपूर्ति है. इंडोनेशिया स्थित फ्रीपोर्ट-मैकमोरन की ग्रासबर्ग खदान में मिट्टी भरने की घटना के चलते उत्पादन में व्यवधान आया, जिससे कॉपर की कीमतों में लगभग 5% की तेजी दर्ज की गई.
ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन के दौर में लगातार बढ़ रही कॉपर की मांग
इस उछाल के बाद, एमसीएक्स पर सितंबर एक्सपायरी वाले कॉपर फ्यूचर्स की कीमत 950 रुपये तक पहुंच गई, जबकि लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर कॉपर फ्यूचर्स का दाम करीब 10,300 डॉलर प्रति मीट्रिक टन पर जा पहुंचा. ट्रेडर्स का कहना है कि ग्रासबर्ग खदान में उत्पादन में आई रुकावट के चलते वैश्विक उत्पादन में लगभग 2.5 लाख टन की कमी आ सकती है. विश्लेषकों का मानना है कि ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन के दौर में कॉपर की मांग लगातार बढ़ रही है, जबकि आपूर्ति में कटौती देखी जा रही है. यही वजह है कि इस साल अब तक कॉपर की कीमतों में करीब 20% की वृद्धि हो चुकी है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमओएफएसएल) के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख नवनीत दमानी ने कहा, विद्युतीकरण, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने, ग्रिड अपग्रेडेशन, नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों और एआई-संचालित डेटा केंद्रों में वृद्धि ने इस तेजी को बढ़ावा दिया है, जो सभी कॉपर पर अत्यधिक निर्भर हैं. इन दबावों के कारण स्टॉक कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो 5 साल के औसत से भी नीचे है. 2025 के पहले 7 महीनों में बाजार में 1,01,000 टन अधिशेष स्टॉक था, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 4,01,000 टन अधिशेष स्टॉक था.
चीन ने प्रोसेस्ड कॉपर के उत्पादन में 5% की दर्ज की थी कमी
फ्रीपोर्ट-मैकमोरन ने अपनी ग्रासबर्ग खदान से कॉपर की शिपमेंट पर फोर्स मैज्योर घोषित कर दिया और ब्लॉककेव संचालन को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया. चीन ने सितंबर की शुरुआत में प्रोसेस्ड कॉपर के उत्पादन में भी 5% की कमी दर्ज की गई थी, जिससे बाजार पर करीब 500,000 टन का असर पड़ा. MOFSL ने एक नोट में कहा कि कॉपर माइनर्स को उच्च कीमतों से लाभ होने की संभावना है और निकट भविष्य में उनके मुनाफे में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है.
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