फेस्टिव सीजन 2025 में 2 लाख तक नए रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है, जिनमें से करीब 70% गिग वर्क यानी फ्रीलांस या कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड होंगे. यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है. एनएलबी सर्विसेज द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की फेस्टिव इकोनॉमी उपभोक्ता खर्च बढ़ाने में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है. अब 2025 में यह इकोनॉमी रोजगार के मॉडल में एक संरचनात्मक बदलाव लाने की दिशा में बढ़ रही है.
त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ सकती है भर्ती
रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स, और कंज्यूमर सर्विसेज जैसे प्रमुख सेक्टर इस बार के त्योहारी सीजन में बड़ी संख्या में नौकरियों की पेशकश कर सकते हैं. साल की शुरुआत से ही जारी फेस्टिव डिमांड के चलते इन क्षेत्रों में करीब 2 लाख नए रोजगार बनने की संभावना है. त्योहारी सीजन के दौरान भर्ती पिछले साल की तुलना में करीब 20-25% बढ़ सकती है. सप्लाई चेन और लास्ट-माइल डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े निवेश के कारण क्विक कॉमर्स और थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्र इस बढ़त को गति दे रहे हैं.
फेस्टिव हायरिंग पर फिर से कर रहे विचार
नई नौकरियों में से 70% गिग वर्क होने की उम्मीद है, जबकि 30% स्थायी नौकरियां होंगी, जिससे पता चलता है कि कंपनियां फ्लेक्सिबिलिटी और स्केल को संतुलित करने के लिए एक ब्लेंडेड वर्कफोर्स मॉडल अपना रही हैं. एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलुग ने कहा, 35% से अधिक व्यवसाय अब अपनी दीर्घकालिक प्रतिभा रणनीति के एक घटक के रूप में फेस्टिव हायरिंग पर फिर से विचार कर रहे हैं. हम देख रहे हैं कि कंपनियां प्री-फेस्टिव स्किलिंग पहल में निवेश कर रही हैं, अपने वर्कफोर्स डायवर्सिटी के लक्ष्यों पर फिर से विचार कर रही हैं.
भारत के रोजगार मॉडल में हो सतिा है संरचनात्मक बदलाव
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई प्रमुख क्यू-कॉमर्स और ई-कॉमर्स कंपनियां फेस्टिव सीजन के बाद भी अस्थायी रूप से नियुक्त किए गए वर्कफोर्स का करीब 26% हिस्सा बनाए रखेंगी. यह रुझान भारत के रोजगार मॉडल में संरचनात्मक बदलाव की ओर संकेत करता है. इसके अलावा, टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी इस वर्ष भर्ती गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल सकती है. ये शहर अब सिर्फ सपोर्ट लोकेशन नहीं, बल्कि एक्टिव ग्रोथ सेंटर्स के रूप में उभरने लगे हैं. भुवनेश्वर, कोच्चि, इंदौर, सूरत और नागपुर जैसे शहरों में गिग वर्क से जुड़ी नौकरियों में 30 से 40% तक की वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है.
वित्त वर्ष 26 में 50% तक बढ़ सकता है आंकड़ा
इन शहरों के रिटेल और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए माइक्रो-फुलफिलमेंट हब के रूप में उभरने के साथ, पिछले फेस्टिव सीजन में टियर 2 शहरों में कुल गिग हायरिंग का 47% हिस्सा था. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 26 में 50% तक बढ़ने की उम्मीद है. अलुग ने कहा, हालांकि, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहर वॉल्यूम के मामले में मांग में आगे बने हुए हैं, असली ग्रोथ का रुझान स्पष्ट रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों की ओर बढ़ रहा है, जहां टैलेंट की सप्लाई मजबूत है और ऑपरेशनल लागत कम है.