“देश में 156.41 वर्ग किमी बढ़ा वन क्षेत्र”: लोकसभा में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह (Kirti Vardhan Singh) ने सोमवार को जानकारी दी कि भारत में वन क्षेत्र और वृक्ष आवरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने यह जानकारी लोकसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान दी. मंत्री ने बताया, भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा जारी भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023 के अनुसार, देश में वन आवरण 156.41 वर्ग किलोमीटर और वृक्ष आवरण 1289.40 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. यह वृद्धि आईएसएफआर-2021 की तुलना में दर्ज की गई है.

“वन संरक्षण राज्यों की जिम्मेदारी, केंद्र ने बताया कानूनी ढांचा”

लिखित उत्तर में कहा गया है, “वनों और वृक्ष आवरण का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की जिम्मेदारी है. देश के वनों और वृक्ष आवरण के संरक्षण और प्रबंधन के लिए कानूनी ढांचे हैं, जिनमें भारतीय वन अधिनियम, 1927; वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980; वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972; राज्य वन अधिनियम; वृक्ष संरक्षण अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियम शामिल हैं.”

“अवैध पेड़ कटाई पर सख्ती: राज्यों के पास जिम्मेदारी, कोर्ट में होती है कार्रवाई”

इसमें आगे कहा गया है कि पेड़ों की अवैध कटाई के मामले, जब भी पता चलते हैं, तो संबंधित कानूनों के तहत सक्षम न्यायालय/प्राधिकरणों के समक्ष अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. संबंधित राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित विवरण रखते हैं. स्थानीय वन प्राधिकारी अवैध रूप से काटे गए पेड़ों का मूल्यांकन करते हैं, तथा संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार संबंधित वन अपराध रजिस्टरों में संबंधित डेटा को बनाए रखते हैं.

अवैध पेड़ कटाई रोकने को सरकार ने बढ़ाई सख्ती

उन्होंने पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की ओर भी ध्यान दिलाया, जिनमें किसी भी अवैध/निषिद्ध गतिविधियों की रोकथाम के लिए अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों द्वारा वन क्षेत्रों में नियमित गश्त, गश्ती शिविरों/शिकार विरोधी शिविरों की स्थापना, रणनीतिक और संवेदनशील स्थानों पर जांच चौकियां, सतर्कता और उड़न दस्तों की तैनाती, संवेदनशील क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण और वन संरक्षण गतिविधियों में समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम, जागरूकता अभियान और शैक्षिक कार्यक्रम लागू करना शामिल है.
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