FY26 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर (Indian Corporate Sector) को 5 से 6% की सालाना राजस्व वृद्धि की उम्मीद है। यह वृद्धि पिछली तिमाही के 5.5% के स्तर के आसपास रहने की संभावना है। यह जानकारी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की एक ताज़ा रिपोर्ट में सामने आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामूली वृद्धि को ग्रामीण मांग में सुधार, प्रीमियम उत्पादों की ओर रुझान, और संगठित कंपनियों की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी जैसे कारक समर्थन दे सकते हैं.
ब्याज कवरेज अनुपात में संभावित सुधार
वित्तीय स्वास्थ्य के मोर्चे पर, रिपोर्ट में ब्याज कवरेज अनुपात को 4.9 से 5.1 गुना के बीच रहने का अनुमान है. पहली तिमाही में यह आंकड़ा 4.9 गुना था. इसके अलावा, कमोडिटी कीमतों में गिरावट के चलते कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में मजबूती की संभावना जताई गई है.
त्योहारी सीजन की मांग और नीतिगत दरों में संभावित कटौती से दूसरी तिमाही में वित्तीय प्रदर्शन में और सुधार देखने को मिल सकता है. आईसीआरए का मानना है कि ओपीएम 18 से 18.2% के दायरे में स्थिर रह सकता है.
किन क्षेत्रों से आएगी सबसे ज्यादा वृद्धि
राजस्व में सबसे बड़ा योगदान उपभोग आधारित क्षेत्रों जैसे:
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कंज्यूमर ड्यूरेबल्स
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रिटेल
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होटल
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जेम्स और ज्वेलरी
साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर आधारित क्षेत्रों जैसे:
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पूंजीगत वस्तुएं
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सीमेंट
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निर्माण
इन क्षेत्रों से आने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों के कारण वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में इन क्षेत्रों में अपेक्षाकृत सुस्ती देखी गई थी.
कुछ अनिश्चितताएं भी बरकरार
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीएसटी सुधारों की प्रक्रिया अभी भी स्पष्ट नहीं है, जिससे ग्राहकों की ओर से खरीद निर्णय अगले तिमाही तक स्थगित हो सकते हैं. इसके अलावा, कई क्षेत्रों में उत्पाद मिश्रण में बदलाव और संगठित कंपनियों की अधिग्रहण गतिविधियां जैसे फैक्टर राजस्व में वृद्धि में सहायक बन रहे हैं, खासकर हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर और ज्वेलरी रिटेल जैसे क्षेत्रों में.
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