अडाणी ग्रुप आने वाले पाँच वर्षों में ऊर्जा परिवर्तन क्षेत्र में 75 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करने की योजना बना रहा है. यह घोषणा चेयरमैन गौतम अडाणी ने मंगलवार को की. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद के शताब्दी समारोह में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समूह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी बनाने के उद्देश्य से लगातार बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर को मिलेगा बढ़ावा
गौतम अदाणी ने बताया कि ग्लोबल ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन हमारे समय का सबसे बड़ा उद्योग बनकर उभर रहा है, जिसका मूल्य आने वाले दशकों में कई ट्रिलियन डॉलर होगा. गौतम अदाणी ने कहा, इससे बिजली आधारित मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन स्टील, ग्रीन फर्टिलाइजर, हाइड्रोजन इकोसिस्टम और महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा, जिस पर एआई और डिजिटल अर्थव्यवस्थाएं निर्भर करती हैं. चेयरमैन ने आगे कहा, अदाणी ग्रुप अगले पांच वर्षों में एनर्जी ट्रांजिशन के क्षेत्र में 75 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहा है.
सीओपी-30 सम्मेलन में पेश किए गए एक नैरेटिव की आलोचना की
इसके साथ ही, गौतम अडाणी ने ब्राज़ील में आयोजित सीओपी-30 सम्मेलन में पेश किए गए एक नैरेटिव की आलोचना की, जिसमें एक रिपोर्ट ने भारत की स्थिरता रैंकिंग को कम आंका था. रिपोर्ट का कहना था कि भारत के पास कोयले से चरणबद्ध बाहर निकलने की कोई तय समय-सीमा नहीं है और वह अभी भी कोयला ब्लॉकों की नीलामी कर रहा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अडाणी समूह के चेयरमैन ने जोर देकर कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जन दुनिया में सबसे कम है और देश इतिहास के सबसे तेज ऊर्जा संक्रमण की दिशा में अग्रसर है.
गौतम अदाणी ने भारत की सतत विकास प्रगति को परिभाषित करने वाले आंकड़े साझा करते हुए कहा, भारत ने इस ग्रह को गर्म नहीं किया. फिर भी, अब विकसित दुनिया के अधिकांश लोग भारत से पृथ्वी को ठंडा करने की अपेक्षा रखते हैं. अदाणी समूह के चेयरमैन ने कहा कि भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म स्रोतों से आता है और देश ने वैश्विक स्तर पर स्वीकृत एक महत्वपूर्ण संख्या को अपने लक्ष्य से पूरे पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है.
मानव इतिहास में सबसे तेज ऊर्जा परिवर्तन कर रहा भारत
इसी तरह, 2015 में अपनाए गए पेरिस समझौते के तहत, जिस पर 195 देशों ने हस्ताक्षर किए थे, कोई भी अन्य प्रमुख देश अपने ऊर्जा मिश्रण को भारत जितनी तेजी से नहीं बदल पाया है. गौतम अदाणी ने कहा, प्रति व्यक्ति सबसे कम कार्बन उत्सर्जन वाले देशों में से एक, भारत मानव इतिहास में सबसे तेज ऊर्जा परिवर्तन भी कर रहा है. अपने अनुभवों और विचारों को साझा करते हुए उद्योगपति गौतम अदाणी ने छात्रों को यह व्यक्तिगत सलाह दी कि सफलता कोई उपहार नहीं होती—इसे मेहनत से तराशना और निकालना पड़ता है. उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे आधुनिक भारत के “स्वतंत्रता सेनानी” बनें और देश को आर्थिक तथा संसाधन आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने में योगदान दें.

