GST दरों में कटौती से आतिथ्य, परिवहन और सांस्कृतिक क्षेत्रों को मिलेगा बढ़ावा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
सरकार ने कहा है कि नई जीएसटी दरें देश के पर्यटन क्षेत्र को अधिक किफायती बनाएंगी, सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करेंगी और कारीगरों तथा सांस्कृतिक उद्योगों को बढ़ावा देंगी. इस महीने की शुरुआत में, जीएसटी परिषद ने होटलों (जहां प्रति दिन का किराया ₹7,500 से कम है) पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया है, हालांकि इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ नहीं मिलेगा.
इसके साथ ही, 10 से अधिक यात्रियों की क्षमता वाली बसों पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है. इसी प्रकार, कला और सांस्कृतिक वस्तुओं पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% किया गया है. सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, इन कटौती से घरेलू पर्यटन इकोसिस्टम मजबूत होगा, सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा मिलेगा और संबंधित क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
बयान में आगे कहा गया, पीएम मोदी के नेतृत्व में, ये सुधार सतत और समावेशी विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो रोजगार सृजन और आतिथ्य, परिवहन और पारंपरिक शिल्प में निवेश को बढ़ावा देते हैं, साथ ही भारत के पर्यटन क्षेत्र में महामारी के बाद की रिकवरी को भी तेज करते हैं. होटलों पर कम जीएसटी दरों से मध्यम वर्ग और बजट यात्रियों के लिए होटल में ठहरना अधिक किफायती होने की उम्मीद है.
इस कदम से वीकेंड ट्रैवल, तीर्थयात्रा सर्किट, हेरिटेज पर्यटन और इको-पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. साथ ही, मध्यम श्रेणी के नए होटल, होमस्टे और गेस्टहाउस में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार सृजन और पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की संभावनाएं बनेंगी. बसों पर संशोधित जीएसटी दरें, बसों और मिनी बसों की शुरुआती लागत को कम करती हैं, जिससे वे बेड़े संचालकों, स्कूलों, कॉर्पोरेट्स, पर्यटन सेवा प्रदाताओं, और राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए अधिक सुलभ हो जाती हैं.
यह बदलाव विशेष रूप से अर्ध-शहरी और ग्रामीण मार्गों पर टिकट किराए को कम करेगा, जिससे लोग निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देंगे. इससे भीड़भाड़ और प्रदूषण में कमी आएगी. इसके अलावा, कला और सांस्कृतिक वस्तुओं पर जीएसटी दर में कमी का सीधा लाभ कारीगरों, शिल्पकारों और मूर्तिकारों को मिलेगा, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से समर्थन प्राप्त होगा.
सरकार ने कहा कि यह कदम मंदिर कला, लोक अभिव्यक्ति, लघु चित्रकला, प्रिंटमेकिंग और पत्थर शिल्प कौशल की जीवंत परंपराओं को संरक्षित करने और हेरिटेज अर्थव्यवस्था को आधुनिक बाजारों के साथ एकीकृत करते हुए वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति और शिल्प कौशल को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा.

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