नए GST रेट्स को लेकर सरकार के समय पर जारी निर्देशों का एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री नेकिया स्वागत

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री ने शनिवार को औषध विभाग, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA)और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)द्वारा दवाओं, फार्मूलेशंस और मेडिकल डिवाइस पर संशोधित जीएसटी दरों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समय पर दिशा-निर्देश जारी करने का स्वागत किया है. हाल ही में औषध विभाग और NPPA द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि जीएसटी दरों में कमी के चलते निर्माताओं और विपणक (मार्केटर्स) को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP)में संशोधन करना आवश्यक होगा. हालांकि, यह भी कहा गया है कि पहले से बाजार में उपलब्ध स्टॉक को न तो वापस मंगाना होगा और न ही उस पर दोबारा लेबल लगाने की जरूरत पड़ेगी, बशर्ते कि रिटेल स्तर पर संशोधित मूल्य का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.

मेडिकल डिवाइस पर संशोधित एमआरपी स्टिकर की अनुमति

सीडीएससीओ ने रिवाइज्ड एमआरपी को दर्शाने के लिए मेडिकल डिवाइस (क्लास C और D) पर तीन महीने के भीतर स्टिकर लगाने की अनुमति दी है, जिससे आयातकों और निर्माताओं के लिए परिचालन संबंधी चुनौतियां कम होंगी. एआईएमईडी के फोरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा, यह सरकार द्वारा समय पर उठाया गया एक व्यावहारिक कदम है, जो जीएसटी रेट रिवाइज करने पर खुदरा विक्रेताओं, निर्माताओं, आयातकों और वितरकों के सामने आने वाली एक महत्वपूर्ण परिचालन चुनौती का समाधान करता है. नाथ ने आगे कहा, यह प्रावधान अनुपालन, उपभोक्ता पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और पैकेजिंग सामग्री की बर्बादी को रोकता है, साथ ही उद्योग को अनुचित स्टॉक हानि से भी बचाता है.

जीएसटी अनुपालन में चूक पर कार्रवाई संभव

हम यह सराहना करते हैं कि सरकार ने उपभोक्ता हितों की रक्षा और उद्योग को व्यापार करने में आसानी देने के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है. हालांकि एनपीपीए के हालिया पत्र में जीएसटी दरों में संशोधन के अनुपालन में चूक पर सीधे तौर पर किसी दंड का उल्लेख नहीं किया गया है, फिर भी एनपीपीए को दवाओं और मेडिकल डिवाइस की कीमतों की निगरानी करने और आवश्यक होने पर सुधारात्मक कदम उठाने का अधिकार प्राप्त है. यदि कोई निर्माता या वितरक एनपीपीए की मूल्य अधिसूचनाओं का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें कारावास और जुर्माने जैसे सख्त प्रावधान शामिल हैं.

वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए मूल्य में कमी संभव

एसोसिएशन के निदेशक राजीव नाथ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए मूल्य में कमी संभव है, क्योंकि जीएसटी की मूल भावना यह नहीं थी कि यह निर्माताओं या व्यापारियों पर कार्यशील पूंजी का अतिरिक्त बोझ डाले, बल्कि इसका उद्देश्य सप्लाई चेन के हर चरण पर वैल्यू एडिशन के अनुसार टैक्स लगाना था.

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