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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार को जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 19 सितंबर 2025 तक भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 702.57 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. इसी अवधि में स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) में भी 360 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे यह बढ़कर 92.78 बिलियन डॉलर हो गया.
विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) का है, जो इस दौरान 586.15 बिलियन डॉलर रहा. इसमें स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDRs) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की आरक्षित स्थिति भी शामिल है, जिनकी राशि क्रमशः 18.88 बिलियन डॉलर और 4.76 बिलियन डॉलर रही.
एसडीआर 105 मिलियन डॉलर और आईएमएफ रिजर्व स्थिति 2 मिलियन डॉलर बढ़ी. पिछले सप्ताह, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.69 बिलियन डॉलर बढ़कर 702.9 बिलियन डॉलर हो गया था, जबकि सितंबर 2024 के अंत में यह रिकॉर्ड 704.885 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था. आरबीआई रुपए में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए डॉलर की बिक्री सहित, लिक्विडिटी ऑपरेशन के माध्यम से विदेशी मुद्रा बाजार में समय-समय पर हस्तक्षेप करता है.
अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि ऐसे हस्तक्षेप का उद्देश्य किसी विशेष विनिमय दर को लक्षित करने के बजाय बाजार की स्थिति को नियंत्रित करना है. इस बीच, पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 2.5 बिलियन डॉलर बढ़कर 587.04 बिलियन डॉलर हो गईं. इन परिसंपत्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी प्रमुख वैश्विक मुद्राएं शामिल हैं और डॉलर में इनकी कीमत विनिमय दरों में बदलाव को दर्शाती है.
पिछले सप्ताह भारत का स्वर्ण भंडार 2.1 बिलियन डॉलर की बढ़त के साथ 92.42 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. हाल के हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है. 5 सितंबर को समाप्त सप्ताह में, कुल रिजर्व में 4.03 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी, जिससे भंडार का आकार 698 बिलियन डॉलर के पार चला गया था.
इससे एक सप्ताह पहले भी इसमें 3.51 बिलियन डॉलर का इजाफा दर्ज किया गया था. विश्लेषकों के अनुसार, रिकॉर्ड हाई के करीब मजबूत भंडार भारत को बाहरी झटकों से बचाने, रुपए को मजबूती देने और वैश्विक निवेशकों, खासकर मौजूदा अनिश्चित वैश्विक आर्थिक स्थितियों में, में भरोसा जगाने में मदद करेगा.