भारत ने सोमवार को अपने मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं को एक नई दिशा देते हुए ‘भारत फोरकास्टिंग सिस्टम’ का अनावरण किया. यह सिस्टम अब तक का सबसे उन्नत और उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम मॉडल है, जो 6 किलोमीटर के ग्रिड पर काम करेगा. यह प्रणाली विशेष रूप से छोटे पैमाने पर मौसम की घटनाओं का सटीक अनुमान लगाने में सक्षम होगी. इस पहल से भारत में कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, आपदा जोखिम में कमी, और सार्वजनिक सुरक्षा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार की उम्मीद जताई जा रही है.
IITM में ‘अर्का’ नामक नए सुपरकंप्यूटर की स्थापना से BFS की उपलब्धि संभव हुई है. अर्का की कम्प्यूटेशनल क्षमता 11.77 पेटाफ्लॉप्स है, और इसकी स्टोरेज क्षमता 33 पेटाबाइट्स है. पहले ‘प्रत्युष’ सुपरकंप्यूटर को मौसम पूर्वानुमान मॉडल चलाने में 10 घंटे लगते थे, जबकि अर्का अब वही काम केवल 4 घंटे में कर सकता है. BFS, भारत भर में स्थापित 40 डॉपलर वेदर रडार का उपयोग करेगा, जो अधिक सटीक और स्थानीयकृत पूर्वानुमान उत्पन्न करेंगे. इस प्रणाली की मदद से मौसम की घटनाओं का अनुमान 6 किलोमीटर के ग्रिड पर लगाया जाएगा, जो पहले के 12 किलोमीटर के ग्रिड से कहीं अधिक सटीक है. आने वाले समय में डॉपलर रडारों की संख्या बढ़ाकर 100 करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे पूरे देश के लिए शॉर्ट-टर्म ‘नाउकास्ट’ (2 घंटे का पूर्वानुमान) जारी किया जा सकेगा.
यह सिस्टम भारत के लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में अत्यधिक मौसम घटनाओं के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. विशेष रूप से कृषि उत्पादों की कीमतों में वृद्धि ने खाद्य महंगाई को बढ़ाया है. 2024 में अत्यधिक मौसम के कारण हुए फसल क्षति के आंकड़े पिछले वर्षों से कहीं अधिक हैं. भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में भी यह उल्लेख किया गया है कि अक्सर होने वाली गर्मी की लहरों और अन्य मौसम घटनाओं का खाद्य कीमतों पर गहरा असर पड़ा है. भारत का यह मॉडल वैश्विक मौसम पूर्वानुमान मॉडलों के मुकाबले काफी उन्नत है.
यूरोपीय, ब्रिटिश, और अमेरिकी मौसम कार्यालयों के मॉडल 9-14 किलोमीटर के ग्रिड पर काम करते हैं, जबकि BFS 6 किलोमीटर के ग्रिड पर काम करेगा. यह भारत को मौसम के पूर्वानुमान में एक महत्वपूर्ण बढ़त देगा. भारत में बढ़ते मौसम परिवर्तन और कृषि पर उसके प्रभाव को देखते हुए, RBI और अन्य एजेंसियों ने जलवायु-रोधी फसलों की आवश्यकता की बात की है. कृषि को जलवायु परिवर्तन से बचाने और फसल नुकसान कम करने के लिए डेटा प्रणाली को बेहतर बनाने की जरूरत है.