भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने दर्ज करवाई शानदार बढ़त

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने एक बार फिर मजबूत प्रदर्शन किया है. नवंबर में नए ऑर्डर और उत्पादन दोनों ही सामान्य ट्रेंड से तेज रफ्तार से बढ़े हैं. सोमवार को जारी एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार, सूचकांक 50.0 के न्यूट्रल स्तर और इसके लंबे समय के औसत 54.2 से ऊपर बना रहा. एस एंड पी ग्लोबल द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI 56.6 पर दर्ज किया गया.

अक्टूबर में 59.2 पर था HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI

रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI 59.2 पर था. वहीं, नवंबर के ताज़ा आंकड़ों ने फरवरी के बाद से परिचालन स्थितियों में सबसे धीमी सुधार दर को दर्शाया है. नए निर्यात ऑर्डर भी एक साल से अधिक समय में सबसे कम गति से बढ़े. बिक्री में मामूली बढ़ोतरी का असर खरीदारी गतिविधियों और नई भर्तियों पर पड़ा, जिससे इन दोनों में वृद्धि कमजोर रही. इसके साथ ही उत्पादन के प्रति सकारात्मक धारणा 2022 के मध्य के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई.

अमेरिकी टैरिफ की वजह से मैन्युफैक्चरिंग विस्तार की गति हुई धीमी

नवंबर में महंगाई दर कम हुई, जबकि इनपुट लागत 9 महीनों और सेलिंग चार्ज आठ महीनों में सबसे धीमी दर से बढ़े. एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा, भारत के फाइनल नवंबर पीएमआई ने दर्शाया कि अमेरिकी टैरिफ की वजह से मैन्युफैक्चरिंग विस्तार की गति धीमी हुई. नए एक्सपोर्ट ऑर्डर पीएमआई 13 महीनों के निचले स्तर पर आ गए. उन्होंने आगे कहा कि फ्यूचर आउटपुट के लिए अनुमान बताते हैं कि बिजनेस कॉन्फिडेंस में नवंबर में बड़ी गिरावट आई, जो कि टैरिफ के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को दिखाता है.

भारतीय मैन्युफैक्चरर्स ने ऑर्डर बुक वॉल्यूम में उल्लेखनीय वृद्धि की दर्ज

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय मैन्युफैक्चरर्स ने ऑर्डर बुक वॉल्यूम में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है. इसके पीछे प्रतिस्पर्धी कीमतें, मांग में सकारात्मक रुझान और ग्राहकों की बढ़ती रुचि प्रमुख कारण रहे. हालांकि, बाजार की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों, परियोजनाओं के शुरू होने में देरी और कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते कुल विकास दर नौ महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गई. इसके बावजूद, कंपनियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बिक्री का प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है, जिसमें अफ्रीका, एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के ग्राहकों से अच्छी मांग देखने को मिली है.

Latest News

आज भारतीय सैनिकों की वीरता और क्षमता को स्वीकार कर रहा है विश्व- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

New Delhi: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आज विश्व भारतीय सैनिकों की वीरता और क्षमता को...

More Articles Like This