वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि भारत के मजबूत विनिर्माण ढांचे और अंतरराष्ट्रीय विस्तार के चलते देश का दवा निर्यात वित्तीय वर्ष 2024-25 में 30.47 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है. दवा निर्यात पर आयोजित एक दिवसीय क्षेत्रीय चिंतन शिविर में उन्होंने यह जानकारी साझा की. वाणिज्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में भारत का घरेलू दवा बाजार लगभग 60 अरब डॉलर का है.
भारत आज मात्रा के हिसाब से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस क्षेत्र के आकार, विविधता और नवाचार क्षमता को ध्यान में रखते हुए, यह बाजार 2030 तक लगभग 130 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है. वाणिज्य सचिव ने रेखांकित किया कि भारत आज मात्रा के हिसाब से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के हिसाब से चौदहवां सबसे बड़ा दवा उत्पादक है, जिसमें 3,000 से अधिक कंपनियां, 10,500 विनिर्माण इकाइयां और 60 चिकित्सीय क्षेत्रों में 60,000 से अधिक जेनेरिक ब्रांड शामिल हैं.
200 से अधिक बाजारों तक पहुंचती भारतीय दवाएं
भारतीय दवाएं विश्व स्तर पर 200 से अधिक बाजारों तक पहुंचती हैं, जिनमें से 60% से अधिक निर्यात सख्त नियामक व्यवस्था वाले देशों को होता है. भारत के दवा निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग 34% है, जबकि यूरोप का हिस्सा लगभग 19% है. चिंतन शिविर में हुई चर्चाओं का मुख्य उद्देश्य निर्यातकों, विशेष रूप से लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), को भारत के विकसित होते अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सहयोग ढांचे के प्रति जागरूक करना था.
भारत के दवा निर्यात में वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने पर वाणिज्य सचिव का जोर
साथ ही, औषधि निर्यात से जुड़ी नीतिगत, नियामकीय और क्षमता-निर्माण पहलों के बारे में उद्योग जगत की जानकारी और समझ बढ़ाना भी इसका लक्ष्य था. वाणिज्य सचिव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण पर भी जोर दिया, जिसमें भारत को एक विश्वसनीय वैश्विक व्यापार भागीदार के रूप में स्थापित करना और वैश्विक औषधि व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाना शामिल है, ताकि विश्वभर में गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित की जा सके.
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