महाराष्ट्र के अच्छे प्रदर्शन से अक्टूबर-नवंबर में 43% बढ़ा भारत का चीनी उत्पादन

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा विनिर्माता संघ (ISMA) ने मंगलवार को बताया कि विपणन वर्ष 2025-26 के शुरुआती दो महीनों में देश का चीनी उत्पादन 43% बढ़कर 41.1 लाख टन पहुंच गया है. इस वृद्धि की मुख्य वजह महाराष्ट्र में बेहतर उत्पादन रहा. पिछले वर्ष इसी अवधि में उत्पादन 28.8 लाख टन था. अक्टूबर से सितंबर तक चलने वाले इस विपणन वर्ष के संदर्भ में इस्मा ने कहा, “मैदान स्तर से मिली जानकारी दर्शाती है कि प्रमुख राज्यों में गन्ने की पैदावार और चीनी की रिकवरी दर दोनों में सुधार हुआ है, जिसके कारण पूरे देश में गन्ना पेराई तेज़ हुई है.”
इस साल चालू फैक्ट्रियों की संख्या पिछले साल की इसी अवधि के 376 से बढ़कर 428 हो गई. देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में नवंबर तक उत्पादन 14 लाख टन तक पहुंच गया, जो एक साल पहले 12.8 लाख टन था. दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन पिछले साल इसी समय के 4.6 लाख टन से बढ़कर 16.9 लाख टन हो गया. इस्मा ने कहा कि तीसरे सबसे बड़े राज्य कर्नाटक में उत्पादन 8,12,000 टन से घटकर 7,74,000 टन रह गया, जबकि किसानों के विरोध के कारण शुरुआती रुकावटों के बाद पेराई काम में तेज़ी आई.
इस वर्ष अब तक गुजरात में 92,000 टन और तमिलनाडु में 35,000 टन चीनी का उत्पादन दर्ज किया गया है. इसके साथ ही इस्मा ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की मांग दोहराई है, क्योंकि उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद MSP पिछले छह वर्षों से नहीं बदला है. उद्योग संगठन ने बताया कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में गन्ने के दाम बढ़ाए जाने के बाद देशभर में उत्पादन की औसत लागत बढ़कर 41.72 रुपये प्रति किलोग्राम पहुँच गई है.
इस्मा ने कहा, ‘‘मिलों को सही लाभ और किसानों को समय पर भुगतान पक्का करने के लिए एमएसपी बढ़ाना ज़रूरी है.’’ इसने वर्ष 2025-26 के लिए तीन करोड़ 9.5 लाख टन शुद्ध चीनी उत्पादन होने का अनुमान लगाया है, जिसमें एथनॉल बनाने के लिए ‘डायवर्जन’ (स्थानांतरण) शामिल नहीं है, जबकि पिछले साल असल उत्पादन दो करोड़ 61.1 लाख टन था.

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