पिछले दो वर्षों में भारत का आईपीओ मार्केट नए रिकॉर्ड्स बनाने में सफल रहा है. इस दौरान लगभग 701 IPOs के जरिए 3.8 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए, जो 2019 से 2023 के बीच 629 IPOs से जुटाए गए 3.2 लाख करोड़ रुपए से काफी अधिक है. मोतीलाल ओसवाल की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय IPO बाजार का आकार और विस्तार दोनों तेजी से बढ़े हैं. इसका प्रमुख कारण निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार में बढ़ता भरोसा बताया गया है.
रिकॉर्ड निवेश और बड़ी कंपनियों का समर्थन
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 भी आईपीओ बाजार के लिए बहुत अच्छा साल रहा है. अब तक 365 से ज्यादा आईपीओ से करीब 1.95 लाख करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं. इससे पहले 2024 में 336 आईपीओ से 1.90 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए थे, जो अब टूट चुका है. 2025 में जुटाए गए कुल पैसों में से लगभग 94 प्रतिशत पैसा मेनबोर्ड आईपीओ से आया है. पिछले दो वर्षों में सिर्फ 198 बड़ी कंपनियों (मेनबोर्ड) ने करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं. यह दर्शाता है कि बड़ी कंपनियों के IPO को निवेशकों का अच्छा समर्थन मिल रहा है और IPO की मांग लगातार मजबूत बनी हुई है.
2025 में SME और एनबीएफसी IPO
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस दौरान लिस्टिंग के मामले में SME सेक्टर (छोटी और मझोली कंपनियां) काफी सक्रिय रहा और बड़ी संख्या में कंपनियां बाजार में आईं. अब IPO केवल कुछ चुनिंदा सेक्टरों तक सीमित नहीं रहे. पिछले दो साल में विभिन्न उद्योगों की कंपनियों ने IPO के जरिए पूंजी जुटाई. 2025 में सबसे अधिक राशि एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों) ने जुटाई, इसके बाद कैपिटल गुड्स, टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर का नंबर रहा.
2025 में युवा और स्मॉलकैप कंपनियों के IPO
2024 में जहां. ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, रिटेल और ई-कॉमर्स कंपनियां ज्यादा आईपीओ लेकर आई थीं, वहीं 2025 में इनका योगदान कम रहा. खास बात यह है कि टेलीकॉम, यूटिलिटी और प्राइवेट बैंकिंग सेक्टर से 2025 में कोई आईपीओ नहीं आया. इस बदलाव से पता चलता है कि आईपीओ मार्केट में कौन-सा सेक्टर आगे रहेगा. यह बाजार की स्थिति और निवेशकों की पसंद पर निर्भर करता है. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में IPO के जरिए जुटाई गई कुल धनराशि का आधे से अधिक हिस्सा युवा कंपनियों (20 वर्ष से कम आयु वाली) का रहा. वहीं, साइज के हिसाब से, स्मॉलकैप कंपनियों ने भी कुल रकम का 50 प्रतिशत से अधिक जुटाया.