क्रॉनिक थेरेपी में उछाल के कारण इस वर्ष अप्रैल में भारतीय फार्मा बाजार (Indian Pharma Market) में सालाना आधार पर 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई है. गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की मासिक रिपोर्ट से मालूम चला है कि अप्रैल 2024 में IPM ने 9% और मार्च 2025 में 9.3% वृद्धि दर्ज की थी. इस वर्ष यह वृद्धि हृदय, CNS और श्वसन चिकित्सा में मजबूत प्रदर्शन के कारण हुई.
विशेष रूप से इस वर्ष अप्रैल में श्वसन चिकित्सा में सालाना आधार पर सुधार देखा गया है. सीजन के कारण अप्रैल में एक्यूट थेरेपी में 6% की वृद्धि देखी गई, जो कि अप्रैल 2024 में भी 6% थी और मार्च 2025 में 8% दर्ज की गई थी. इस वर्ष अप्रैल में आईपीएम की सालाना वृद्धि के लिए कीमत, नए लॉन्च और वॉल्यूम वृद्धि जैसे कारक अहम रहे. कीमत, नए लॉन्च और वॉल्यूम वृद्धि का क्रमश: 4.3% , 2.3% और 1.3% के साथ योगदान रहा.
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि मूविंग एवरेज टोटल (एमएटी) के आधार पर इंडस्ट्री ने सालाना 7.9% की वृद्धि दर्ज की है. अप्रैल 2025 में जहां क्रॉनिक थेरेपी को लेकर सालाना आधार पर 9% वृद्धि दर्ज की गई. वहीं, एक्यूट थेरेपी को लेकर 6% वृद्धि दर्ज की गई. अप्रैल 2025 एमएटी आधार पर कुल आईपीएम में एक्यूट सेगमेंट की हिस्सेदारी 61% रही, जिसमें सालाना आधार पर 7.9% की वृद्धि हुई.
इसके अलावा, कार्डियक में 11.3% , गैस्ट्रो में 9.4% , एंटीनियोप्लास्ट (एंटीकैंसर ड्रग्स या कीमोथेरेपी ड्रग्स) में 12.6% और यूरोलॉजी में 13.1% वृद्धि दर्ज की गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू कंपनियों ने अप्रैल में बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बेहतर प्रदर्शन किया. अप्रैल तक, भारतीय फार्मा कंपनियों के पास आईपीएम में 83% की हिस्सेदारी दर्ज की गई है, जबकि शेष बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनियों (एमएनसी) के पास है. इस वर्ष मार्च में भारतीय कंपनियों की वृद्धि दर 7.4% रही, जबकि एमएनसी की वृद्धि दर सालाना आधार पर 7.4% रही.