नवंबर 2025 में भारतीय रुपये की दिशा काफी हद तक अमेरिकी डॉलर की चाल और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता की प्रगति पर निर्भर करेगी. बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, महीने के अंत तक रुपया 88.5 से 89 प्रति डॉलर की सीमा में कारोबार करता दिखाई दे सकता है. बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) की रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर की मजबूती या कमजोरी का असर रुपये पर स्पष्ट रूप से पड़ेगा. साथ ही, अमेरिका के मुद्रास्फीति दर और लेबर मार्केट से जुड़ा ताज़ा आर्थिक डेटा फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति को प्रभावित कर सकता है.
भारतीय रुपए का प्रदर्शन बीते महीने स्थिर
बैंक ने कहा, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर किसी भी प्रकार का पॉजिटिव डेवलपमेंट निवेशकों के सेंटीमेंट को बढ़ावा दे सकता है. हालांकि, फिलहाल उच्च अमेरिकी टैरिफ के डॉमेस्टिक इकोनॉमी पर प्रभाव के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश पर दबाव आ रहा है. भारतीय रुपए का प्रदर्शन बीते महीने स्थिर दर्ज किया, जबकि घरेलू मुद्रा धीमे निवेश, मजबूत डॉलर और आयातकों की ओर से मजबूत मांग के बीच रिकॉर्ड लो के आसपास ट्रेड कर रही थी.
डॉलर के मुकाबले मिश्रित रहा पिछले महीने वैश्विक मुद्राओं का प्रदर्शन
भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया है ताकि रुपया अपने नए निचले स्तर पर न फिसले. यह कदम हाल के महीनों में देखे गए मुक्त मुद्रा उतार-चढ़ाव (Free Currency Movement) से एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है. रिपोर्टों के अनुसार, पिछले महीने वैश्विक मुद्राओं (Global Currencies) का प्रदर्शन डॉलर के मुकाबले मिश्रित रहा— जहां उभरते बाजारों की करेंसियाँ मजबूत रहीं, वहीं विकसित अर्थव्यवस्थाओं की करेंसियों में कमजोरी देखी गई.
मार्केट पार्टिसिपेंट्स का विश्वास हुआ मजबूत
बैंक की ओर से कहा गया है कि फेड के इस वर्ष एक और रेट कट न होने को लेकर मार्केट पार्टिसिपेंट्स का विश्वास मजबूत हुआ, जिससे डॉलर को मजबूती मिली. यूएस फेडरल रिजर्व लंबे समय से चले आ रहे यूएस शटडाउन की वजह से महत्वपूर्ण इकोनॉमिक डेटा को देखते हुए एक और रेट कट को लेकर सतर्क रुख अपना सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में रुपये की औसत वार्षिक अस्थिरता घटकर 1.2% पर आ गई, जो अक्टूबर में 4% थी. बीते महीने के दौरान रुपया 87.83 से 88.70 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करता देखा गया.
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