भारत के ऑटो सेक्टर में 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में कुल 30 लेनदेन हुए, जिनकी कुल कीमत रिकॉर्ड 4.6 अरब डॉलर रही. ग्रांट थॉर्नटन इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण टाटा मोटर्स द्वारा इवेको एस.पी.ए. का 3.8 अरब डॉलर में अधिग्रहण था, जो इस तिमाही में कुल विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) मूल्य का लगभग 95 प्रतिशत था.
ऑटो सेक्टर में इस तिमाही में वैश्विक विस्तार
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऑटो सेक्टर में इस तिमाही में वैश्विक विस्तार, विद्युतीकरण और आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव देखा गया. रणनीतिक अधिग्रहणकर्ताओं और निजी निवेशकों, दोनों ने भविष्य के लिए तैयार मोबिलिटी प्लेटफॉर्म पर ध्यान केंद्रित किया. रिपोर्ट के अनुसार, तिमाही आधार पर वॉल्यूम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह सितंबर तिमाही में जून तिमाही के करीब ही रही हैं.
दूसरी तिमाही की तुलना में 1,234% की जबरदस्त वृद्धि
2025 की तीसरी तिमाही में विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में क्रॉस-बॉर्डर कंसोलिडेशन का दबदबा रहा, जबकि प्राइवेट इक्विटी (पीई) निवेश का फोकस इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, फ्लीट मोबिलिटी और मोबिलिटी-एस-ए-सर्विस (एमएएएस) जैसे टेक सेगमेंट पर रहा. इस तिमाही में कुल सात एम एंड ए डील हुईं, जिनकी कुल वैल्यू 4.1 अरब डॉलर रही, जो दूसरी तिमाही की तुलना में 1,234% की जबरदस्त वृद्धि दर्शाती है.
कुल डील में क्रॉस बॉर्डर की 71% थी हिस्सेदारी
वहीं, कुल डील में क्रॉस बॉर्डर की हिस्सेदारी 71% थी और वैल्यू में 99% की हिस्सेदारी थी. समीक्षा अवधि के दौरान, प्राइवेट इक्विटी ने 531 मिलियन डॉलर की 23 डील की है. इसमें से 70% डील 10 मिलियन डॉलर से कम की थीं. इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) द्वारा समर्थित इलेक्ट्रिक बस ऑपरेटरों में 137 मिलियन डॉलर के निवेश ने शहरी विद्युतीकरण और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेशकों का विश्वास और मजबूत किया है.
2025 की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक बाजार की गतिविधियां धीमी रहीं, और इस दौरान कोई बड़ा आईपीओ या क्यूआईपी दर्ज नहीं हुआ. हालांकि, निवेशकों की निगाहें 2026 में संभावित टोयोटा आईपीओ पर टिके हैं, जिससे निवेश प्रवाह में नयी ऊर्जा आने और ऑटो सेक्टर में सेक्टोरल रुचि बढ़ने की उम्मीद है.