North Korea: उत्तर कोरिया सरकार अपने परमाणु हथियारों के अनुसंधान और विकास को फंड देने के लिए साइबर जालसाजों की मदद लेने लगा है. एक मामले ने पूरे विश्व के लोगों की नींद उडा दी है. जिससे हर कोई हैरान है. बता दें कि उत्तर कोरिया अपनी साइबर ताकत का इस्तेमाल मुख्य रूप से अपनी सरकार को फंड देने के लिए करता है.
परमाणु हथियारों के अनुसंधान और विकास को फंड देने का प्लान
दरअसल, उत्तर कोरिया के हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में सेंधमारी और विदेशी कंपनियों में नकली पहचान बनाकर रिमोट टेक नौकरियां हासिल कर अरबों डॉलर की लूट की है. एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट की माने तो यह सब उत्तर कोरिया सरकार ने अपने परमाणु हथियारों के अनुसंधान और विकास को फंड देने के लिए किया. यह 138 पेज की रिपोर्ट मल्टीलेटरल सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम ने जारी की है. इसमें अमेरिका और 10 अन्य सहयोगी देश शामिल हैं.
मनी लॉन्ड्रिंग और सैन्य खरीद के लिए किया क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल
बताया जा रहा है कि यह टीम उत्तर कोरिया के संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के पालन की निगरानी के लिए बनाई गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर कोरिया ने क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और सैन्य खरीद के लिए किया, ताकि परमाणु कार्यक्रम से जुड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को चकमा दे सके. इसके हैकर्स ने विदेशी कंपनियों और संगठनों को निशाना बनाया. मैलवेयर के जरिए उनके नेटवर्क को बाधित किया और संवेदनशील डेटा चुराया.
हैकिंग क्षमता चीन और रूस जैसी ताकतवर देशों के बराबर
छोटा और अलग-थलग देश होने के बावजूद उत्तर कोरिया ने साइबर हमलों में भारी निवेश किया है. अब उसकी हैकिंग क्षमता चीन और रूस जैसी ताकतवर देशों के बराबर है. यह विदेशी सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए बड़ा खतरा बन गया है. अन्य देशों जैसे चीन, रूस और ईरान से अलग, उत्तर कोरिया अपनी साइबर ताकत का इस्तेमाल मुख्य रूप से अपनी सरकार को फंड देने के लिए करता है.
लोगों की जान को खतरे में डाला और निजी संपत्ति को पहुंचाया नुकसान
रूस और चीन के समर्थन से उत्तर कोरिया के साइबर हमलों ने कंप्यूटर उपकरणों को नष्ट किया. लोगों की जान को खतरे में डाला और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इसके साथ ही यह अवैध हथियार और मिसाइल प्रोग्राम को फंड मुहैया कराने में भी इस्तेमाल हुआ. इस मॉनिटरिंग टीम में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन शामिल हैं.
हैकर्स ने क्रिप्टो एक्सचेंज बायबिट से 1.5 अरब डॉलर की एथेरियम चुराई
इस साल की शुरुआत में उत्तर कोरिया से जुड़े हैकर्स ने क्रिप्टो एक्सचेंज बायबिट से 1.5 अरब डॉलर की एथेरियम चुराई है. ये अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टो चोरियों में से एक है. एफबीआई ने इस चोरी को उत्तर कोरिया की खुफिया सेवा से जुड़े हैकर्स से जोड़ा. इसके अलावा अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले हजारों आईटी कर्मचारी वास्तव में नकली पहचान वाले उत्तर कोरियाई थे.
मामले पर नहीं मिला कोई जवाब
ये कर्मचारी कंपनियों के इंटरनल सिस्टम तक पहुंच बनाकर अपनी तनख्वाह उत्तर कोरियाई सरकार को भेजते थे. कुछ मामलों में वे एक साथ कई रिमोट नौकरियां भी कर रहे थे. उत्तर कोरिया के संयुक्त राष्ट्र मिशन से इस मामले पर कोई जवाब नहीं मिला.
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