भारत के कैपेक्स परिदृश्य ने चालू वित्त वर्ष में आशावाद के संकेत दिए हैं. सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकार का कैपेक्स मजबूत बना हुआ है, जो समग्र निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है. भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर में कैपेक्स का पुनरुत्थान भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो रहा है. इसके अतिरिक्त, कैपिटल गुड्स कंपनियों के एक प्रतिनिधि सैंपल के ऑर्डर बुक डेटा से भविष्य के कैपिटल खर्च का अनुमान लगाने में मदद मिल रही है. रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि यह कैपेक्स के लिए एक सकारात्मक आउटलुक दिखाता है और दूसरी इंडस्ट्रीज में भी इसके सकारात्मक प्रभाव (स्पिलओवर) देखने को मिल सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में एक मजबूत कैपेक्स साइकिल को समर्थन मिलेगा.
कैपेक्स चालू वित्त वर्ष में बढ़ने का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑयल एंड गैस और स्टील जैसे सेक्टर में कैपेक्स चालू वित्त वर्ष में बढ़ने का अनुमान है. इस वर्ष अभी तक पब्लिक सेक्टर का निवेश उच्च बना हुआ है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कैपेक्स डबल-डिजिट ग्रोथ दर्ज करवा रहा है. वहीं, कॉर्पोरेट कैपेक्स फ्रंट पर 1,899 लिस्टेड नॉन-फाइनेंशियल कंपनियों के कुल कैपेक्स में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 25 में बढ़कर 9.4 लाख करोड़ रुपए हो गया है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निवेश की घोषणाओं की आए उछाल और काम पूरा होने में आई तेजी इन्वेस्टमेंट सेंटीमेंट में सुधार को दिखाती है.
केंद्र का कैपेक्स बना हुआ है मजबूत
केयरएज रेटिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा ने कहा, केंद्र का कैपेक्स मजबूत बना हुआ है और हमने राज्य के कैपेक्स में भी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सुधार देखा है. इसके अलावा, भारतीय कंपनियों के कैपेक्स में भी सुधार देखा जा रहा है, जिसे ऑयल एंड गैस, पावर, टेलीकॉम और ऑटो सेक्टर से समर्थन मिल रहा है. रजनी सिन्हा के अनुसार, कैपिटल गुड्स कंपनियों की ऑर्डर बुक में अच्छी गति देखने को मिल रही है. पिछले चार वर्षों में, भारत का इन्वेस्टमेंट टू जीडीपी रेश्यो औसतन 30.3 प्रतिशत रहा है, जो निवेश के मजबूत ट्रेंड को दर्शाता है.
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