वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ा भारत का दबदबा, 2035 तक GDP में 9% हिस्सेदारी का लक्ष्य

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत का वैश्विक अर्थव्यवस्था में दबदबा तेजी से बढ़ रहा है और 2035 तक देश की हिस्सेदारी ग्लोबल जीडीपी (GDP) ग्रोथ में 9% तक पहुँचने की संभावना है, जो 2024 में 6.5% थी. यह महत्वपूर्ण बयान वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागाराजू द्वारा गुरुवार को दिया गया.

एम नागाराजू ने देश की आर्थिक राजधानी में नेशनल बैंक फॉर फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NABFID) की ओर से आयोजित किए गए एनुअल इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव 2025 में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भी देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है.

उन्होंने आगे कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बीते चार सालों से औसत 8% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रही है. FY26 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.8% रही थी, जो कि पिछली पांच तिमाही में सबसे अधिक है.

करंट अकाउंट घाटा GDP का केवल 0.5% रहा

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागाराजू के अनुसार, भारत का एक्सटर्नल सेक्टर इस समय मजबूत स्थिति में है. उन्होंने बताया कि बीती तिमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट घटकर सिर्फ GDP का 0.5% रह गया है. इसके साथ ही, देश का शुद्ध सेवाओं का निर्यात भी लगातार तेजी से बढ़ रहा है. इन आर्थिक उपलब्धियों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत 2047 तक, जब स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होंगे, एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभर सकता है.

वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागाराजू के अनुसार, भारत की व्यापक आर्थिक सफलता अब इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है. यह सफलता दुनिया को यह संदेश देती है कि भारत का विकास केवल मजबूत नहीं है, बल्कि यह सुधारों और विवेकपूर्ण नीतियों से भी प्रेरित है. इसके चलते, भारत अब वैश्विक विकास का प्रमुख इंजन बनने की दिशा में अग्रसर है और महामारी के बाद की वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को आकार देने में एक संभावित नेता बन चुका है. इस आर्थिक मजबूती के साथ, भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र अब एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरे हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान कर रहे हैं.

NPA 1% से नीचे गया

FY24-25 में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों को क्रेडिट ग्रोथ में पीछे छोड़ दिया है. बीते एक दशक से अधिक समय में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ है. नॉन-परफॉरमिंग एसेट्स एक प्रतिशत के नीचे जा चुकी हैं और कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो भी नियामक द्वारा निर्धारित किए गए मानकों से अधिक है, जो दिखाता है कि भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है. कुल मिलाकर, ये रुझान एक मजबूत, पर्याप्त पूंजीकृत वित्तीय प्रणाली की ओर इशारा करते हैं जो विकसित भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है.

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