भारत की औद्योगिक विकास दर अगस्त 2025 में 4% तक बढ़ी, माइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूती

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के आधार पर भारत की औद्योगिक विकास दर अगस्त 2025 में 4% रही. इस वृद्धि में माइनिंग सेक्टर की मजबूत प्रदर्शन सबसे अहम रहा. औद्योगिक विकास दर लगातार दूसरे महीने बढ़ी है, जहां जुलाई में यह चार महीने के उच्चतम स्तर 3.5% पर पहुंची थी, जबकि जून में यह 1.5% थी.

माइनिंग सेक्टर ने अगस्त 2025 में पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में 6% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जिससे जुलाई में भारी बारिश के कारण हुई उत्पादन गिरावट की भरपाई हो गई.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने इस वर्ष अगस्त में दर्ज की ग्रोथ

आंकड़ों से पता चला कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने इस वर्ष अगस्त में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 3.8% की ग्रोथ दर्ज की. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश के विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग संस्थानों से निकलने वाले युवा ग्रेजुएट्स को नौकरियों के अवसर प्रदान करता है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 23 में से 10 इंडस्ट्री ग्रुप ने इस वर्ष अगस्त में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की.

बेसिक मेटल सेक्टर का योगदान सबसे अधिक रहा रहा, जिसने 12.2% की डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की और मोटर वाहन, ट्रेलर और सेमी-ट्रेलर ने 9.8% की वृद्धि दर्ज करवाई.

अगस्त में बिजली उत्पादन में भी देखी गई बढ़ोतरी

अगस्त में बिजली उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखी गई, जो जुलाई के 0.6% से बढ़कर 4.1% हो गई. उपयोग के आधार पर वर्गीकृत आंकड़ों के अनुसार, कैपिटल गुड्स का उत्पादन अगस्त में 4.4% बढ़ा. कैपिटल गुड्स में फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाली मशीनें शामिल होती हैं, जो अर्थव्यवस्था में हो रहे वास्तविक निवेश को दर्शाती हैं. इस सेगमेंट का भविष्य में रोजगार और आय सृजन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.

रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और टीवी जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का उत्पादन भी अगस्त में 3.5% बढ़ा, जो आय में वृद्धि के साथ इन उत्पादों की मांग में वृद्धि को दर्शाता है. इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर ने इस वर्ष अगस्त में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 10.6% की डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की. इसका कारण हाईवे, रेलवे और बंदरगाह क्षेत्रों में सरकार की बड़ी परियोजनाओं का कार्यान्वयन था.

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