प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत आवेदन पर मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया के मद्देनजर उम्मीद जताई जा रही है कि FY28 तक भारत की सोलर क्षमता लगभग 216 गीगावाट तक पहुंच जाएगी, जिससे लगभग 3.5 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा. सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, रेटिंग एजेंसी केयरएज रेटिंग्स की सहायक कंपनी केयरएज एडवाइजरी ने कहा कि PLI स्कीम के कारण सोलर कैपेसिटी में तेजी से विस्तार हो रहा है.
भारत का इंस्टॉल्ड सोलर बेस 127.3 GW तक पहुंचा
वहीं, 1 मेगावाट सोलर पावर के लिए 1,700-2,200 पैनल (500 वॉट पीक पर) स्थापित किए जाने के साथ एफिशिएंसी में सुधार हो रहा है. केयरएज एडवायजरी का कहना है कि भारत का इंस्टॉल्ड सोलर बेस सितंबर 2025 तक बढ़कर 127.3 गीगावाट हो गया है, जिसने कुल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी में 25% से अधिक का योगदान दिया है. इंस्टॉल्ड सोलर बेस FY15 में 3.9 गीगावाट दर्ज किया गया था. इसके साथ ही, भारत का सोलर पीवी प्रोडक्ट्स का निर्यात FY19 से 2025 के बीच 10 गुना से अधिक बढ़ गया है, जिसमें अमेरिका को प्रमुख निर्यात किया जा रहा है.
PLI और BCD पहलों से विश्व में चौथा स्थान
सरकार की प्रमुख पहलों जैसे PLI, बेसिक कस्टम्स ड्यूटी (BCD) और अप्रूव्ड लिस्ट ऑफ मॉडल्स एंड मैन्युफैक्चरर्स (ALMM) ने घरेलू सोलर मॉड्यूल क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत अब विश्व में चौथे स्थान पर पहुँच चुका है. रिपोर्ट बताती है कि भारत की मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी FY28 के अंत तक 100 जीडब्ल्यूपी एडिशनल कैपेसिटी ऐड कर सकती है.
भारत की सोलर सेल मैन्युफैक्चरिंग 100 GW तक
इसके अलावा, इस अवधि में घरेलू सेल मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी भी 100 जीडब्ल्यूपी तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें कैपेक्स 55,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होगा. केयरएज एडवाइजरी का अनुमान है कि FY28 तक भारत को 215-220 गीगावाट सोलर कैपेसिटी हासिल करने के लिए लगभग 36 से 47 करोड़ सोलर पैनलों की आवश्यकता होगी.