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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारतीय स्टेट बैंक की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में अगले महीने मुद्रास्फीति का स्तर लगभग 0.45% रहने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आंकड़ा मौद्रिक नीति में निर्णायक बदलाव के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है. एसबीआई का मानना है कि बाजार की विभिन्न धाराओं और आम नागरिकों की सामूहिक अपेक्षाओं को देखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) इस बदलती स्थिति को गंभीरता से लेगी और अपने रुख में संभावित बदलाव पर विचार करेगी.
एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा कि रिकॉर्ड के लिए, FY27 के मुद्रास्फीति के आंकड़े फिलहाल 3.7% पर निर्णायक रूप से कम हैं. घोष ने कहा, मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण के अपने प्राथमिक दायित्व के साथ, आरबीआई अगर बाजार के शोरगुल पर ही केंद्रित रहता है, यहां तक जब मुद्रास्फीति में गिरावट बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देने की स्थिति में भी तो केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से चूकने का जोखिम है.
खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट के चलते सितंबर में भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति घटकर 1.54% पर आ गई, जो पिछले 99 महीनों का सबसे निचला स्तर है. खास बात यह है कि अक्टूबर से मुद्रास्फीति में जो गिरावट देखने को मिल रही है, वह मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के मूल्य घटने के कारण है. अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच इस खाद्य समूह का योगदान एक बड़े सकारात्मक स्तर से घटकर नकारात्मक हो गया है.
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए औसत सीपीआई मुद्रास्फीति अब 2.2% रहेगी, जो आरबीआई के 2.6% के अनुमान से काफी कम है. वस्तुओं के हिसाब से, सब्जियों की कीमतें नकारात्मक दायरे में बनी रहीं, जबकि दालों की कीमतों में गिरावट जारी रही और मसालों में भी सितंबर 2025 में गिरावट देखी गई. इसके अलावा, सितंबर 2025 तक लगातार 11 महीनों तक खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट, जो वर्तमान सीपीआई सीरीज में पहली बार हुई, परिमाण और अवधि दोनों के संदर्भ में सबसे बड़ी थी.
रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्यतः चावल, मक्का, उड़द और गन्ने की खरीफ फसल की बुवाई में वृद्धि के कारण आने वाले महीनों में इन उत्पादों की कीमतें कम बनी रहेंगी. हालांकि, मानसून के बाद हुई अत्यधिक बारिश के कारण कुछ क्षेत्रीय व्यवधान भी हो सकते हैं. मुद्रास्फीति के रुझान पर नजर डालें तो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अक्टूबर से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है.