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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
केंद्र सरकार द्वारा नई जीएसटी दरें सोमवार से लागू कर दी गई हैं. नए जीएसटी फ्रेमवर्क के तहत टैक्स स्लैब की संख्या घटाकर अब केवल दो कर दी गई है – 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत. पहले यह संख्या चार थी– 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। इसके अलावा, सिगरेट, शराब जैसे सिन गुड्स और अन्य लग्जरी उत्पादों पर अलग से 40 प्रतिशत टैक्स निर्धारित किया गया है. सिन गुड्स वे उत्पाद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं और उनके उपभोग को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार ने उन पर उच्च टैक्स दर लागू की है.
नई जीएसटी दरें लागू होने के बाद पान मसाला, गुटका, सिगरेट, तबांकू और जरदा को 40 प्रतिशत प्लस सेस लगेगा. यह सेस तब तक जारी रहेगा, जब तक बकाया सेस लिंक्ड लोन समाप्त नहीं हो जाते हैं. कोल्ड ड्रिंक या फिर चीनी मिली एरेटेड वाटर आदि अब 40 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आएंगे. हालांकि, पहले इन पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ 12 प्रतिशत का सेस लगता था। इस कारण से इनकी कीमत में कोई बदलवा नहीं आएगा.
इसके अलावा, रेस क्लब, लीजिंग, कैसीनो, घुड़दौड़ और लॉटरी जैसे क्षेत्रों पर भी 40 प्रतिशत जीएसटी लागू की गई है. आईपीएल टिकट पर लगने वाला टैक्स भी अब बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है. सरकार ने निजी उपयोग के लिए खरीदे जाने वाले विमानों पर भी 40 प्रतिशत जीएसटी निर्धारित की है, जबकि पहले इन पर 28 प्रतिशत टैक्स और 3 प्रतिशत सेस लगाया जाता था. नई जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत 350 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली बाइकों पर टैक्स बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे हाई-एंड बाइकों की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है.
वहीं, सरकार ने 1,200 सीसी से अधिक इंजन क्षमता और 4 मीटर से लंबी पेट्रोल गाड़ियों, तथा 1,500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता और 4 मीटर से बड़ी डीजल गाड़ियों पर जीएसटी दर बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी है. हालांकि, पहले इन गाड़ियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ-साथ सेस जोड़कर कुल 50 प्रतिशत टैक्स लगता था. ऐसे में नई टैक्स व्यवस्था के लागू होने से इन बड़ी गाड़ियों की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है. इसके अलावा, जीएसटी सुधार के तहत रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं और जीवन रक्षक दवाओं सहित करीब 370 उत्पादों पर टैक्स दरों में कटौती की गई है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि इस बदलाव का मकसद उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का निवेश करना है.