पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने को लेकर लगातार कर रहा काम भारतीय रेलवे

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारतीय रेलवे ने पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए नागालैंड से मालगाड़ियों का परिचालन शुरू कर दिया है. यह पहल मिजोरम में रेल सेवाओं की सफल शुरुआत के बाद की गई है. रेलवे मंत्रालय ने सितंबर महीने में नागालैंड के मोल्वोम स्टेशन से मालगाड़ियों का संचालन शुरू किया था. इस क्रम में, तेलंगाना से सीमेंट से भरे 41 वैगनों का पहला रेक 24 सितंबर को मोल्वोम स्टेशन पहुंचा.

क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ावा

इसके कुछ ही दिनों बाद, 29 सितंबर को मोल्वोम से पहली आउटवर्ड मालगाड़ी 42 वैगनों में स्टोन चिप्स लेकर त्रिपुरा के जिरानिया स्टेशन के लिए रवाना हुई. यह कदम न केवल नागालैंड को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से बेहतर ढंग से जोड़ता है, बल्कि क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है. भारतीय रेलवे ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के प्रयास के तहत नागालैंड से मालगाड़ियों का परिचालन शुरू किया है.

कोहिमा तक रेल लाइन का हो रहा विस्तार

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, 82.5 किलोमीटर लंबी दीमापुर-कोहिमा नई लाइन पर काम चल रहा है, जिसमें धनसिरी-शोखुवी खंड 2021 में चालू हुआ और पहली यात्री सेवा डोनी पोलो एक्सप्रेस अगस्त 2022 में शुरू हुई. भारतीय रेलवे दीमापुर-कोहिमा (धनसिरी-ज़ुब्जा) रेल लाइन परियोजना के साथ नागालैंड की राजधानी कोहिमा तक रेल लाइन का विस्तार कर रहा है. मोल्वोम तक एक खंड पूरा हो चुका है, जबकि कोहिमा के पास ज़ुब्जा तक अंतिम चरण दिसंबर 2029 तक पूरा होने का अनुमान है.

पीएम मोदी ने किया था बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन परियोजना का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 सितंबर को मिजोरम की महत्वपूर्ण बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन परियोजना का उद्घाटन किया. यह परियोजना मिजोरम को पहली बार राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से सीधे जोड़ती है, जिससे राज्य में व्यापार, संपर्क और नए अवसरों के द्वार खुलने की उम्मीद है. लगभग 8070 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई यह 51 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन राजधानी आइजोल को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ती है, जो पूर्वोत्तर भारत के लिए एक बड़ा बुनियादी ढांचा सुधार माना जा रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने सैरांग से दिल्ली के लिए राजधानी एक्सप्रेस, कोलकाता के लिए मिजोरम एक्सप्रेस, और गुवाहाटी के लिए आइजोल इंटरसिटी सहित तीन नई रेल सेवाओं को भी हरी झंडी दिखाई.

1980 के दशक के अंत में असम सीमा के पास बैराबी स्टेशन से मीटर-गेज स्टेशन के रूप में मिज़ोरम की रेल यात्रा शुरू हुई थी. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, वर्ष 2016 में, 83.55 किलोमीटर लंबी कथकल-बैराबी गेज परिवर्तन परियोजना के तहत इसे ब्रॉड गेज में अपग्रेड किया गया, जहां 42 वैगन चावल के साथ पहली मालगाड़ी आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल रूप से एक यात्री सेवा को भी हरी झंडी दिखाई. वहीं, भविष्य के लिए 223 किलोमीटर लंबी सैरांग-बिछुआ परियोजना का मकसद मिजोरम की दक्षिणी सीमा तक पटरियों का विस्तार करना है, जिससे सित्तवे बंदरगाह के जरिए म्यांमार और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए सीधे व्यापार मार्ग खुलेंगे.

पांच गुना बढ़ा रेलवे बजट आवंटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट नीति के तहत पूर्वोत्तर भारत में रेलवे कनेक्टिविटी को अभूतपूर्व बढ़ावा दिया गया है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 2009-14 की तुलना में इस क्षेत्र के लिए रेलवे बजट आवंटन पांच गुना बढ़ाया गया है. केवल वर्तमान वित्त वर्ष (2025-26) में 10,440 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है, जबकि 2014 से 2025 तक कुल आवंटन 62,477 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

इस समय पूर्वोत्तर में करीब 77,000 करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनाएं प्रगति पर हैं. सरकारी बयान के अनुसार, इस क्षेत्र में यात्री और मालभाड़ा सेवाओं की बढ़ती मांग यह संकेत देती है कि रेलवे कनेक्टिविटी जीवन स्तर को बदलने में अहम भूमिका निभा रही है. नई रेल संपर्क परियोजनाएं न केवल आर्थिक विकास को गति दे रही हैं, बल्कि स्थानीय उत्पादों के लिए बेहतर बाजार, व्यापार और रोजगार के अवसर भी सृजित कर रही हैं.

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