केंद्र सरकार का बढ़ेगा खजाना, आरबीआई ने 2.7 लाख करोड़ का डिवि‍डेंड देने का किया ऐलान

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

RBI Dividend News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मोदी सरकार को करीब 2.7 लाख करोड़ रुपये का बंपर डिविडेंड देने का ऐलान किया है. यह अब तक का रिकॉर्ड लेवल का सरप्‍लस ट्रांसफर है जो सरकार को किसी भी साल मिला है. यह पिछले वित्‍त वर्ष के मुकाबले 27 प्रतिशत ज्‍यादा है. इतने बड़े रकम से सरकार को राजकोषीय घाटा कम करने और अर्थव्‍यवस्‍था की आगे ले जाने व दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी. एसबीआई के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के अपने बजट में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल मिलाकर 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश इनकम का अनुमान लगाया था. केंद्रीय बैंक के लाभांश हस्तांतरण के बाद यह आंकड़ा अब बजट अनुमान से कहीं ऊंचा रहेगा.

70 हजार करोड़ के अतिरिक्त खर्च का रास्ता खोलेगा

एसबीआई रिसर्च के इकोरैप के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, हमारा अनुमान है कि इससे राजकोषीय घाटा बजट के स्तर से 0.2 फीसदी कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.2 प्रतिशत रहेगा. वैकल्पिक रूप से यह लगभग 70 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का रास्ता खोलेगा, जबकि अन्य चीजों में कोई बदलाव नहीं होगा.

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये के लाभांश का ऐलान किया है. यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश हस्तांतरण के मुकाबले 27.4 फीसदी की वृद्धि है. यह आकस्मिक जोखिम बफर की सीमा में बदलाव के बाद हुआ है, जिसे केंद्रीय बैंक छह फीसदी (प्लस या माइनस 1.5 प्रतिशत) तक बनाए रख सकता है. बफर को पहले 5.5 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत के बीच बनाए रखा गया था. रिपोर्ट कहती है कि यह अधिशेष भुगतान मजबूत सकल डॉलर की बिक्री, उच्च विदेशी मुद्रा लाभ और ब्याज आय में लगातार वृद्धि के कारण है.

विदेशी मुद्रा भंडार की हुई थी बिकवाली

उल्लेखनीय है कि जनवरी में RBI एशिया के अन्य केंद्रीय बैंकों के मुकाबले विदेशी मुद्रा भंडार का शीर्ष विक्रेता था. सितंबर, 2024 में, विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब अमेरिकी डॉलर के शीर्ष पर पहुंच गया था. रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद केंद्रीय बैंक ने मुद्रा को स्थिर करने के लिए ‘ट्रक भरकर डॉलर’ बेचे थे.

भारतीय रिजर्व बैंक के लिए अधिशेष की स्थिति इसके एलएएफ (तरलता समायोजन की सुविधा) परिचालन और घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग से ब्याज आय द्वारा निर्धारित की गई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में टिकाऊ नकदी की स्थिति अधिशेष में रहने की संभावना है. इसमें खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) की खरीद, आरबीआई के लाभांश हस्तांतरण और 2025-26 में 25 से 30 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन (BOP) अधिशेष से समर्थन मिलेगा.

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