गोल्ड पर एक लॉन्ग-टर्म पॉलिसी को लाए जाने की मांग कर रहा ‘SBI रिसर्च’

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
एसबीआई रिसर्च ने बुधवार को भारतीय अर्थव्यवस्था में कमोडिटी या धन के रूप में पीली धातु सोने की भूमिका परिभाषित करने की जरूरत को देखते हुए गोल्ड पर एक व्यापक लॉन्ग-टर्म पॉलिसी को लाए जाने की मांग की है. एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष (Dr. Soumya Kanti Ghosh) द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने को लेकर एक सांस्कृतिक जुड़ाव, निवेश परिसंपत्ति और मुद्रास्फीति से बचाव को लेकर इसकी बढ़ती भूमिका सभी कारक मिलकर देश के लिए एक स्पष्ट, भविष्य-उन्मुख गोल्ड पॉलिसी को फ्रेम किए जाने की जरूरत को दर्शाते हैं.
घोष ने रिपोर्ट में लिखा, अब समय आ गया है कि हमारे पास गोल्ड को लेकर एक व्यापक पॉलिसी हो. यह बताना जरूरी हो गया है कि गोल्ड कमोडिटी है या मनी और ग्राहक इसे किस प्रकार देखते हैं. रिपोर्ट पूर्व और पश्चिम में सोने को लेकर दृष्टिकोण के अंतर को भी दिखाती है. जहां एक ओर पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में गोल्ड को एक पब्लिक प्रॉपर्टी के रूप में देखा जाता है वहीं, एशियाई देश जैसे कि भारत, जापान, कोरिया और चीन गोल्ड को एक प्राइवेट प्रॉपर्टी के रूप में देखते हैं. इन देशों में सोने को एक निजी संपत्ति और वित्तीय सुरक्षा के सिंबल के रूप में देखा जाता है.
घोष ने बताया कि गोल्ड को लेकर डीप-रूटेड कल्चर कनेक्शन के साथ ही एशियन हाउसहोल्ड नेट बायर्स बने हुए हैं. जबकि दूसरी ओर गोल्ड को लेकर पश्चिम का नजरिया बदल रहा है. उन्होंने कहा कि भारत की मांग को कम करने और प्रोडक्टिव इस्तेमाल के लिए पुराने गोल्ड को रिसाइकल करने की अप्रोच को मुद्रीकरण तक विस्तारित किया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में निवेश आकर्षित होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्ड को गोल्ड-समर्थित पेंशन स्कीम जैसे इंस्ट्रमेंट्स के जरिए ब्रॉडर फाइनेंशियल सेक्टर सुधारों में इंटीग्रेट किया जाना चाहिए. साथ ही, इस तरह के प्रयासों को कैपिटल अकाउंट कन्वर्टिबिलिटी के भारत के लॉन्ग-टर्म उद्देश्य से जोड़े जाने की बात कही गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सोने के लिए विश्व के सबसे बड़े बाजारों में से एक बना हुआ है. देश में सोने को परंपरागत रूप से संपत्ति के रूप में संजोया जाता है, निवेशक इसे सुरक्षित निवेश मानते हैं और केंद्रीय बैंक आरबीआई भी वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अपनी सोने की होल्डिंग बढ़ा रहा है. 2025 में भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितताएं और कमजोर अमेरिकी डॉलर के प्रभाव से सोने की कीमतों में अब तक लगभग 50% की वृद्धि दर्ज की गई है. सोने के प्रति बढ़ते आकर्षण के चलते ईटीएफ में निवेश भी बढ़ा है. वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल से सितंबर तक गोल्ड ईटीएफ में निवेश 2.7 गुना बढ़ गया और इस अवधि के अंत तक गोल्ड ईटीएफ का एयूएम 901.36 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 165% की मजबूत वृद्धि दर्शाता है.
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