छोटे व्यवसायों का क्रेडिट एक्सपोजर सालाना आधार पर 16.2% बढ़कर 46 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. सीआरआईएफ हाई मार्क और सिडबी की रिपोर्ट के अनुसार, नीतिगत उपायों और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) के लिए सरकारी लोन योजनाओं के समर्थन से सक्रिय लोन खातों में 11.8% की वृद्धि हुई है और अब यह संख्या 7.3 करोड़ तक पहुँच गई है.
लोन पोर्टफोलियो मजबूत
रिपोर्ट में पाया गया कि 5 करोड़ रुपए तक के लोन वाले व्यवसायों में औपचारिकीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें सितंबर 2025 तक लोन लेने वाले 23.3% उधारकर्ता नए थे, जबकि उद्यमों के लिए यह आंकड़ा 12% पर था. रिपोर्ट में बताया गया कि छोटे व्यवसायों के लिए लोन व्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और इसमें सुधार हो रहा है. लोन पोर्टफोलियो का विस्तार जारी है और औपचारिकीकरण धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, जिसमें अधिक लेंडर्स सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, जबकि परिसंपत्ति की गुणवत्ता भी अच्छी बनी हुई है.
एकल स्वामित्व वाले व्यवसायों ने 20% वृद्धि दर्ज की
एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय इस लोन व्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, जो लगभग 80% लोन और करीब 90% उधारकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. सबसे तेजी से बढ़ने वाला वर्ग – एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय – ने 20% की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है, जो मुख्य रूप से संपत्ति गिरवी रखकर लिए गए लोन से प्रेरित है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निजी बैंक एमएसएमई उद्यमों को लोन देने में अग्रणी हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक उनके बाद आते हैं.
एनबीएफसी की हिस्सेदारी 41% से अधिक
नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) अपनी उपस्थिति लगातार बढ़ा रही हैं. अब एमएसएमई को दिए गए लोन में उनकी हिस्सेदारी 41% से अधिक है. कार्यशील पूंजी लोन कुल बकाया लोन का लगभग 57% है, जबकि टर्म लोन पूंजीगत व्यय को समर्थन देना जारी रखे हुए हैं. सीआरआईएफ हाई मार्क के अध्यक्ष और सीआरआईएफ इंडिया और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक सचिन सेठ ने कहा, सितंबर 2025 तक उधारकर्ताओं के कुल आधार का लगभग 80% हिस्सा एकल स्वामित्व वाले व्यवसायों का है, जो भारत के लघु व्यवसाय ऋण तंत्र का आधार बने हुए हैं.
मैन्युफैक्चरिंग व सेवा क्षेत्र में तेज़ वृद्धि
लघु व्यवसायों के विस्तार के साथ ही ऋण का विस्तार और क्रमिक औपचारिकीकरण भी लगातार बढ़ रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात कुल पोर्टफोलियो आकार में अग्रणी हैं, जबकि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तेज़ वृद्धि देखी जा रही है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पूर्ण लोन जोखिम में सबसे आगे है, और सेवा क्षेत्र में वार्षिक आधार पर 19.6% की वृद्धि दर्ज की गई है.

