Toronto: सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन के सदस्यों ने यूके, कनाडा, अमेरिका और इटली में भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारियों ने कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर और बांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या के मामलों को उठाते हुए भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. इस दौरान खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए गए. साथ ही कुछ बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों ने इंडिया आउट ऑफ बांग्लादेश जैसे नारे लगाए. संगठन का कहना है कि ये प्रदर्शन ढाका से लेकर वॉशिंगटन डीसी तक वैश्विक स्तर पर आयोजित किए गए.
ढाका से लेकर वॉशिंगटन डीसी तक वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन
SFJ ने दावा किया कि ये प्रदर्शन ढाका से लेकर वॉशिंगटन डीसी तक वैश्विक स्तर पर किए गए. वहीं जानकारों का कहना है कि यह सीमित संख्या में कट्टर समर्थकों का आयोजन था, जिसे सोशल मीडिया के जरिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. प्रदर्शन के दौरान कनाडा में मारे गए हरदीप सिंह निज्जर और बांग्लादेश के उस्मान हादी की मौतों को लेकर भारत पर सीधे आरोप लगाए गए. जबकि इन दावों के समर्थन में कोई अंतरराष्ट्रीय जांच रिपोर्ट या ठोस सबूत पेश नहीं किया गया.
इस तरह के आरोप SFJ की पुरानी रणनीति का हिस्सा
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आरोप SFJ की पुरानी रणनीति का हिस्सा हैं, जिनका मकसद भारत को राज्य प्रायोजित हिंसा के रूप में बदनाम करना है. इन दावों की स्वतंत्र या आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. लंदन में प्रदर्शन का नेतृत्व परमजीत सिंह पम्मा ने किया. उन्होंने दावा किया कि भारतीय एजेंसियां विदेशों में सिखों को निशाना बना रही हैं. पम्मा ने अमेरिका के सिख समुदाय से मार्च में सिएटल में प्रस्तावित खालिस्तान रेफरेंडम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की.
कथित टार्गेट किलिंग्स की श्रृंखला
इटली में गुरपाल सिंह ने स्थानीय भाषा में संबोधन करते हुए इन घटनाओं को कथित टार्गेट किलिंग्स की श्रृंखला बताया. प्रदर्शन के दौरान दपिंदरजीत सिंह, जीता सिंह, गुरप्रीत सिंह, जसबीर सिंह और जगत रूप सिंह सहित कई लोगों ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए. साथ ही कुछ बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों ने इंडिया आउट ऑफ बांग्लादेश जैसे नारे भी लगाए. भारत समर्थक समुदायों और विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे प्रदर्शन विदेशों में भारत-विरोधी अलगाववादी नैरेटिव को बढ़ावा देने की कोशिश हैं.
भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ एक उकसावे वाली गतिविधि
प्रदर्शन के दौरान लगाए गए खालिस्तान जिंदाबाद और इंडिया आउट जैसे नारे यह साफ दर्शाते हैं कि यह आयोजन शांतिपूर्ण विरोध नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ एक उकसावे वाली गतिविधि थी. सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार SFJ जैसे संगठन विदेशों की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी प्रचार, फंडिंग और कट्टरपंथ फैलाने के लिए कर रहे हैं. भारत ने बार-बार मित्र देशों से आग्रह किया है कि वे ऐसे कट्टर और अलगाववादी संगठनों की गतिविधियों पर सख्त नजर रखें क्योंकि ये न केवल भारत बल्कि वैश्विक शांति और सामुदायिक सौहार्द के लिए भी खतरा हैं.
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