भारत में FY26 में स्टील की मांग लगभग 8 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है. इसी दौरान, सालाना स्टील की मांग में 11-12 मिलियन टन (MTPA) तक का इजाफा हो सकता है. यह जानकारी बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दी गई. ICRAने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि स्टील की कीमतों में नरमी और आपूर्ति में वृद्धि के कारण निकट भविष्य में स्टील उत्पादकों के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं.
रेटिंग एजेंसी ने अपने अनुमान में कहा है कि आने वाली कुछ तिमाहियों में घरेलू स्टील उत्पादकों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण रह सकती है, क्योंकि इनपुट लागत स्थिर है और बाहरी आर्थिक माहौल कमजोर बना हुआ है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इससे स्टील उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए होने वाला निवेश धीमा पड़ सकता है. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026-31 के बीच 80-85 मिलियन टन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 45-50 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा.
आईसीआरए ने कहा कि घरेलू स्टील इंडस्ट्री के लिए ऑपरेटिंग मार्जिन वित्त वर्ष 26 में 12.5% रहने का अनुमान है. आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख, कॉर्पोरेट सेक्टर रेटिंग्स, गिरीशकुमार कदम ने बताया कि घरेलू स्टील इंडस्ट्री ने पिछले तीन से चार तिमाहियों में रिकॉर्ड 15 मिलियन टन क्षमता वृद्धि दर्ज की है और वित्त वर्ष के अंत तक इसमें 5 मिलियन टन की और वृद्धि की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, घरेलू हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) की कीमतें वर्तमान में आयात से नीचे चल रही हैं, जो आपूर्ति पक्ष के लगातार दबाव को दर्शाती हैं. आईसीआरए ने बताया कि वित्त वर्ष 2026 के लिए घरेलू एचआरसी की कीमतें औसतन 50,500 रुपए प्रति टन रहने की उम्मीद है.घरेलू एचआरसी (हार्ड रेडिएशन क्रॉस) की कीमतें अप्रैल 2025 में बढ़कर 52,850 रुपए प्रति टन हो गई थीं, लेकिन आपूर्ति में वृद्धि के कारण 12% सेफगार्ड ड्यूटी (एसजीडी) लागू होने के बाद भी नवंबर 2025 तक कीमतें गिरकर 46,000 रुपए प्रति टन हो गई हैं।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ में बढ़ते व्यापार अवरोध वैश्विक स्टील अधिशेष (Global Steel Surplus) को भारत जैसे तेज़ी से बढ़ते बाजारों की ओर मोड़ सकते हैं, और इसके मद्देनज़र सेफगार्ड ड्यूटी को बनाए रखने की सलाह दी गई है.