जुलाई-सितंबर अवधि में भारत में हुईं 1.48 अरब डॉलर की टेक्नोलॉजी डील्स

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत में 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में टेक्नोलॉजी सेक्टर में कुल 1.48 अरब डॉलर की डील्स दर्ज की गई हैं, जिनकी संख्या 80 रही. यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई. बिजनेस एडवाइजरी फर्म ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट के अनुसार, तिमाही के आधार पर डील्स की वैल्यू में 33 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जो संकेत देता है कि अब निवेशक वॉल्यूम के बजाय वैल्यू पर ध्यान दे रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 50 मिलियन डॉलर से अधिक वाली हाई-वैल्यू डील्स की संख्या पिछले समय की तुलना में चार गुना बढ़ गई है, जो निवेशकों की रुचि को सस्टेनेबल एंटरप्राइज मॉडल और क्रॉस-बॉर्डर स्केलेबिलिटी में दर्शाता है.

टेक सेक्टर में एमएंडए की कुल 29 डील्स हुई

इस उछाल की वजह वैश्विक परिस्थितियों में बदलाव होना है और निवेशकों का एआई, एसएएएस और एंटरप्राइज ऑटोमेशन पर फोकस बढ़ना है. टेक सेक्टर में विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) की कुल 29 डील्स हुई हैं और इनकी वैल्यू 743 मिलियन डॉलर थी. वैल्यू में तिमाही आधार पर 239% का इजाफा हुआ है. इसकी वजह एआई और ऑटोमेशन आधारित टेक्नोलॉजी सर्विसेज में डील बढ़ना है. ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी के पार्टनर और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री लीडर, राजा लाहिड़ी ने कहा, 2025 की तीसरी तिमाही भारत के टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम में एक स्पष्ट बदलाव को दर्शाती है, जहां निवेशक और अधिग्रहणकर्ता एआई, सास और एंटरप्राइज ऑटोमेशन में वैल्यू संचालित, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित डील्स को प्राथमिकता दे रहे हैं. ब्रेकआउट कंपनियों की अगली लहर डीप टेक और एआई-नेटिव इन्फ्रास्ट्रक्चर से उभरने की उम्मीद है.

2025 की तीसरी तिमाही में टेक्नोलॉजी सेक्टर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही में टेक्नोलॉजी सेक्टर में आउटबाउंड डील्स में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई, जिनकी कुल वैल्यू में हिस्सेदारी 87% रही. इसमें 100 मिलियन डॉलर से अधिक के तीन हाई-वैल्यू लेनदेन शामिल हैं. इसी अवधि में प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल की ओर से 50 डील्स हुईं, जिनकी कुल वैल्यू 584 मिलियन डॉलर रही, जो तिमाही आधार पर वॉल्यूम में 39% और वैल्यू में 172% की वृद्धि दर्शाती है. हालांकि, आईपीओ और क्यूआईपी गतिविधियां इस तिमाही में काफी धीमी रहीं. केवल एक आईपीओ दर्ज किया गया और कोई भी क्यूआईपी लेनदेन रिकॉर्ड नहीं हुआ.

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