भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. वर्ल्डलाइन इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 35% बढ़कर 106.36 अरब तक पहुंच गई है. इन लेनदेन का कुल मूल्य 143.34 लाख करोड़ रुपये रहा, जो दर्शाता है कि यूपीआई अब देश में आम लोगों की भुगतान प्रणाली का अहम हिस्सा बन चुका है.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि औसत यूपीआई लेनदेन का आकार 2014 की पहली छमाही के 1,478 रुपये से घटकर 2025 की पहली छमाही में 1,348 रुपये रह गया है.
छोटे और सूक्ष्म बिजनेस डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़
यह गिरावट दिखाती है कि यूपीआई का इस्तेमाल दैनिक उपयोग के लेनदेन से लेकर बड़ी शॉपिंग में किया जा रहा है. बड़ी बात यह है कि पर्सन-टू-मर्चेंट (पी2एम) लेनदेन की संख्या 37% बढ़कर 67.01 अरब हो गई है, जिसे वर्ल्डलाइन किराना इफैक्ट नाम दिया है, जहां छोटे और सूक्ष्म बिजनेस डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन जाते हैं. भारत के क्यूआर-आधारित भुगतान नेटवर्क में भी जबरदस्त वृद्धि देखी गई, जो जून 2025 तक दोगुने से भी अधिक बढ़कर 67.8 करोड़ लेनदेन तक पहुंच गया है जो जनवरी 2024 की तुलना में 111% की वृद्धि को दिखाता है.
सक्रिय क्रेडिट कार्डों की संख्या में 23% की वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, देश में पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) टर्मिनलों की संख्या 29% बढ़कर 1.12 करोड़ तक पहुंच गई है, जबकि भारत क्यूआर कोड की संख्या बढ़कर 67.2 लाख हो गई है. इसमें यह भी बताया गया कि क्रेडिट कार्ड अब प्रीमियम उपभोक्ताओं के बीच एक पसंदीदा खर्च समाधान के रूप में तेजी से उभर रहे हैं. जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच सक्रिय क्रेडिट कार्डों की संख्या में 23% की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं मासिक खर्च 2.2 ट्रिलियन रुपये के स्तर को पार कर गया.
हालांकि, औसत लेनदेन आकार में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन यह दर्शाता है कि रोजमर्रा की खरीदारी के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. इसके विपरीत, छोटे भुगतानों के यूपीआई में स्थानांतरित होने के कारण पीओएस पर डेबिट कार्ड का उपयोग लगभग 8% कम हो गया.

