Supreme Court के आदेश पर पूर्व CBI संयुक्त निदेशक और दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के खिलाफ दो FIR दर्ज

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 25 साल पुराने एक मामले में दस्तावेजों की हेराफेरी और फर्जीवाड़े के मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज किया है. इस मामले की जांच अब एसीपी उमेश बर्थवाल करेंगे. दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच नीरज कुमार पर आईपीसी की धारा 166 (कानूनी कर्तव्यों का उल्लंघन), 218 (गलत रिकॉर्ड बनाना), 463, 465, 469 (फर्जी दस्तावेज बनाना और जालसाजी) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मुकदमा दर्ज किया है. जबकि दूसरी एफआईआर 11 जून 2001 को उन्हें नीरज कुमार और तत्कालीन इंस्पेक्टर विनोद पांडेय द्वारा धमकाने, कानूनी मामला वापस लेने के लिए मजबूर करने और मुकदमा वापस नही लेने पर जान से मारने की धमकी देने से संबंधित मामले में दर्ज किया गया है. जिन धाराओं के तहत दूसरी एफआईआर दर्ज की गई हैं. उनमे धारा 166, 341, 342 और 506 शामिल है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पिछले महीने सितंबर में नीरज कुमार सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 2006 में दिए गए आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया था. जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्न वराले की पीठ ने यह आदेश दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह न्याय के साथ गंभीर अन्याय है कि साल 2000 में दर्ज हुए ऐसे गंभीर आरोपों की पिछले 25 सालों तक जांच नही हो सकी.

नीरज कुमार की हिरासत में पूछताछ की संभावना

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि कभी-कभी जो जांच करते हैं, उन्हें भी जांच का सामना करना चाहिए, ताकि जनता का भरोसा सिस्टम पर बना रहे. कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले की जांच एसीपी रैंक के अधिकारी करेंगे. कोर्ट ने तीन महीने में जांच को पूरा करने का आदेश भी दिया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि जांच के दौरान जांच अधिकारी को यह लगता है कि सवालों का सही जवाब नही दे रहे है, और इन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता है तो नीरज कुमार की हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि शुरुआती सीबीआई जांच में गड़बड़ी दिखी थी, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. आरोपों में झूठे दस्तावेज तैयार करना, धमकाना और कोर्ट के आदेश की अवहेलना शामिल है.
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