पटना: विधानसभा चुनाव के बयार के बीच बिहार में सियासी सरगर्मी चरम पर है. महागठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस के अंदर भी टिकट बंटवारे को लेकर घमासान जारी है. अब कांग्रेस विधायक अफाक आलम ने पार्टी के अंदर पैसे लेकर सीट बेचने का आरोप लगाया है. उन्होंने इस संबंध में एक ऑडियो टेप भी जारी किया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम से बात कर रहे हैं.
इस बातचीत में पप्पू यादव का नाम सामने आया. बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने अफाक आलम से कहा कि उनकी ओर से नाम फाइनल था, लेकिन पप्पू यादव ने पैसा लेकर इरफान को टिकट दे दिया. अफाक आलम ने इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और अपनी बात रखी.
बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं आलम
मालूम हो कि अफाक आलम चार बार पूर्णिया की कस्बा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. वे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर इरफान को दे दिया. इससे नाराज होकर अफाक आलम ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम से हुई बातचीत का ऑडियो जारी कर दिया और कहा कि पार्टी में पैसे लेकर टिकट बांटे जा रहे हैं.
अफाक आलम ने अपने समर्थकों से की ये अपील
अफाक आलम ने अपने समर्थकों से अपील की है कि उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए, जो पैसा लेकर टिकट बांट रहे हैं. ऐसे लोगों को सबक सिखाने की जरूरत है, ताकि आने वाली नस्लें सुधर जाएं. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र का हनन हो रहा है. मेरे साथ ब्लैकमेल हुआ. पैसे का काफी उगाही हुआ और पैसा पप्पू यादव के यहां जमा हुआ. फिर ओके होने के बाद टिकट दिया गया.
कई नेताओं ने लगाए पक्षपात और मनमानी के आरोप
मालूम हो कि इससे पहले शनिवार को भी टिकट वितरण को लेकर प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं ने खुले मंच से पार्टी नेतृत्व पर पक्षपात और मनमानी के आरोप लगाए. पटना में कांग्रेस के ‘रिसर्च सेल’ के अध्यक्ष आनंद माधव, पूर्व प्रत्याशी गजानंद शाही, छत्रपति तिवारी, नागेंद्र प्रसाद विकल, रंजन सिंह, बच्चू प्रसाद सिंह और बंटी चौधरी सहित कई नेताओं ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन कर प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजेश राम पर गंभीर आरोप लगाए.
दलालों के हाथों में बंधक है प्रदेश इकाई
इन नेताओं ने कहा कि कांग्रेस की प्रदेश इकाई अब “कुछ नेताओं के निजी दलालों” के हाथों में बंधक बन गई है. नेताओं ने आरोप लगाया कि टिकट वितरण में वर्षों से पार्टी के लिए संघर्ष कर रहे जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर ऐसे चेहरों को प्राथमिकता दी गई है, जिनकी राजनीतिक प्रासंगिकता सीमित है और पहचान केवल धनबल के आधार पर है. असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि यह विवाद केवल टिकट मिलने या न मिलने का नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर विचारधारा और कर्मठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को लेकर है.