साउथ सुपरस्टार मोहनलाल अब नहीं रख सकेंगे हाथीदांत, कोर्ट से रद्द हुआ प्रमाण-पत्र

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Mumbai: केरल हाईकोर्ट से साउथ सुपरस्टार मोहनलाल को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने एक्टर के पास मौजूद हाथीदांत की वस्तुओं से जुड़े स्वामित्व प्रमाण-पत्रों को अवैध घोषित कर दिया है. यह निर्णय एलूर, कोच्चि निवासी पॉलोज के द्वारा दायर की गई याचिका पर आया. हालांकि अदालत ने यह टिप्पणी करने से परहेज किया कि वन विभाग ने उन प्रमाणपत्रों को कैसे और किन परिस्थितियों में जारी किया था?

कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं जारी किए गए प्रमाण-पत्र

अदालत ने कहा कि वन विभाग द्वारा जारी किए गए ये प्रमाण-पत्र कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं, क्योंकि इन्हें जारी करने की प्रक्रिया वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की निर्धारित शर्तों के अनुरूप नहीं थी. यह फैसला न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति जोबिन सेबेस्टियन की खंडपीठ ने सुनाया. याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की उन अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 40(4) के तहत जारी की गई थीं और जिनके आधार पर मोहनलाल को हाथीदांत की वस्तुएं रखने की अनुमति मिली थी.

मामला पहले से ही पेरुंबवूर न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में था लंबित

मोहनलाल ने वन विभाग को अपनी दो जोड़ी हाथीदांत और 13 कलाकृतियां घोषित की थीं, जिनके लिए उन्हें मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा स्वामित्व प्रमाण-पत्र दिया गया था. याचिकाकर्ता का तर्क था कि जब यह प्रमाण-पत्र जारी किए गए उस समय हाथीदांत से जुड़ा एक आपराधिक मामला पहले से ही पेरुंबवूर न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित था. इसलिए वन विभाग द्वारा जारी किए गए प्रमाण-पत्र कानूनी रूप से अनुचित हैं. सरकार ने अपनी ओर से कहा कि मोहनलाल ने अधिनियम की आवश्यकताओं का पालन किया था और उन्हें वस्तुएं रखने की अनुमति अधिसूचना के तहत दी गई थी.

आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं की थीं अधिसूचनाएं

हालांकि अदालत ने पाया कि राज्य सरकार ने अधिसूचनाएं आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं की थीं, जो कि कानून के तहत एक अनिवार्य प्रक्रिया है. सरकार ने यह दलील दी कि अधिसूचनाओं का अन्य माध्यमों से प्रचार पर्याप्त था, लेकिन अदालत ने इस तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जब किसी वैधानिक शक्ति का प्रयोग उस कानून में बताए गए निर्धारित तरीके से नहीं किया जाता तो वह शक्ति कानूनी रूप से वैध नहीं मानी जा सकती.

राज्य सरकार के आदेशों को शुरू से ही रद्द और अप्रवर्तनीय करार

हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 और 17 फरवरी 2016 को जारी राज्य सरकार के आदेशों को शुरू से ही रद्द और अप्रवर्तनीय करार दिया. अदालत ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार चाहे तो वह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 40(4) के तहत नई अधिसूचना जारी कर मोहनलाल को हाथीदांत की वस्तुएं रखने की अनुमति दे सकती है.

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