Lata Mangeshkar Birthday: कैसा रहा स्वर कोकिला के जीवन का सफर? जानिए उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

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Lata Mangeshkar Birthday: 28 सितंबर को भारत की स्वर लता मंगेशकर का 94वां जन्‍मदिन है. लता मंगेशकर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी हमारे जहन में है. बता दें कि 6 फरवरी 2022 को स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हो गया. ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर ने अपने 60 वर्ष से अधिक के इस गायन कैरियर में 20 से अधिक भाषाओं में 30 हजार से ज्‍यादा गाने गाए हैं. लता मंगेशकर को भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय गायिका माना जाता था.

लता मंगेशकर का बचपन

अपनी मधुर आवाज के वजह से पिछले कई दशकों से संगीत के खजाने में नए मोती भरने वाली लता मंगेशकर 28 सितंबर 1929 को इंदौर में एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां पैदा हुईं थी. इनके पिता संगीत एंव थियेटर से जुड़े थे. इनके जन्म के समय इनका नाम ‘हेमा’ रखा गया था, लेकिन कुछ साल बाद अपने थिएटर के एक पात्र ‘लतिका’ के नाम पर उनके पिता ने उनका नाम ‘लता’ रख दिया.

लता को संगीत से अत्‍यधिक लगाव हाने के वजह से इनकी औपचारिक शिक्षा ठीक ढग से नहीं हो पाई. उन्होंने 5 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था। महाराष्ट्र आने के बाद उनके अभिनय का यह सफर जारी रहा। इसी बीच साल 1942 में उनके पिता का निधन हो गया, जब उनके पिता का निधन हुआ, तब वो महज 13 साल की थीं. ऐसे में परिवार में सबसे बड़ी होने के वजह से परिवार की सारी जिम्‍मेदारियां इनके कंधो पर आ गई.

लता मंगेशकर के जीवन में संघर्ष भरे दिन

इस मुकाम को हासिल करने वाली लता की जिंदगी हमेशा से ऐसी नहीं थी, जीवन के शुरूआती दिनों में उन्होंने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे. परिवार की जिम्मेदारी कंधे पर आने से उन्‍होंने एक बाल कलाकार के रूप में साल 1942 से 1948 के बीच हिन्दी और मराठी फिल्‍मों में काम किया. हालांकि उनको अभियन करना पसंद नहीं था, लेकिन परिवार के स्थिति के चलते उन्‍हें अभिनय करना पड़ा. उन्‍होंने करीब 10 फिल्‍मों में काम किया, जि‍समें 1942 में आई फिल्म ‘पाहिली मंगलागौर’,’बड़ी मां’ और ‘जीवन यात्रा’ प्रमुख हैं. 

लता के संगीत सफर की शुरूआत

पार्श्‍व गायिका के रूप में पहचान दिलाने वाले इनके गुरु उस्‍ताद गुलाम हैदर थे. अपने गायन के क्षेत्र के शुरूआती दिनों में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में ‘पा लागूं कर जोरी’ गाना गाया. लेकिन प्रोड्यूसर ने उनकी आवाज को ‘पतली आवाज’ कहकर अपनी फिल्म ‘शहीद’ में उन्‍हें गाने से मना कर दिया. इसके बाद म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने उन्‍हें फिल्म ‘मजबूर’ में ‘दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा’ गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया. 

लता के नाम पर ही है गिनीज बुक रिकॉर्ड

हालांकि 1950 के बाद कई दशकों तक लता मंगेशकर ने संगीत की दुनिया पर राज किया. लता मंगेशकर ने शंकर जयकिशन, मदन मोहन, जयदेव, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, एस डी बर्मन, नौशाद और आर डी बर्मन से लेकर एआर रहमान तक हर पीढ़ी के संगीतकारों के साथ काम किया. उनकी गायकी से कभी किसी की आंखों में आंसू आई, तो कभी सीमा पर तैनात जवानों को सहारा मिला.

आपको बता दें कि 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड भी लता मंगेशकर के नाम ही है. वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक लता मंगेशकर की कुल संपत्ति लगभग 370 करोड़ रुपए है. इनकी ज्यादातर कमाई उनके गानों की रॉयल्‍टी और उनके निवेश से ही थी.

खाने खिलाने की शौकिन थी लता मंगेशकर

खास बात तो ये है कि लता दीदी खाने खिलाने की काफी शौकीन थी, उनके जानने वालों के मुताबिक, उन्हें जलेबी खाना काफी पसंद था. इसके अलावा उन्हें इंदौर के सराफा की खाऊ गली के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बड़े भी काफी पसंद थे.

लता मंगेशकर के संगीत से जुड़ी उपलब्धि और अवार्ड्स

लता मंगेशकर ने 1942 से अपने जीवन में करीब 7 दशकों में 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गाने गाए. लता मंगेशकर को वर्ष 2001 में ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया. इसके अलावा भी उनको 1969 में पद्म भूषण, 1989 दादा साहब फाल्के अवार्ड और 1999 पद्म विभूषण में से नवाजा गया, तथा उन्‍हें 3 बार साल 1972, 1975 और 1990 में राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया.  

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